अपने कभी नहीं देखी होगी इस प्रकार की सब्जियां
अपने कभी नहीं देखी होगी इस प्रकार की सब्जियां
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हम सबने वैसे तो कई प्रकार की कलाकृति देखी हैं जो हमारे मन को बहुत लुभाती हैं, लेकिन ये सभी कृत्रिम होती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कई बार कुदरत भी अपनी कला कुछ इस अंदाज़ में दिखाती है कि देखने वाले अपनी साँसे तक थाम लेते हैं. वैसे तो कुदरत कई रूप में अपने करिश्मे दिखाती है लेकिन क्या आपने सब्जियों को कभी इस अंदाज़ में देखा है जो आज हम आपको दिखाने जा रहे हैं? अगर नहीं तो आइये आज हम आपको दिखाते हैं प्रकृति की खूबसूरत कलाकारी जिसे देख के आपके मुँह से एक ही बात निकलेगी .... wow क्या सच में ये सब्जी है?

मूली है या इंसान: मूली तो सभी ने खूब खायी है और मूली काफी फायदेमंद भी होती है लेकिन आपने कभी मूली को इस तरह देखा है? इसे देख कर आपको ऐसा लगेगा जैसे कोई इंसान खेत में घूम रहा है.

ये है उल्लू का जुड़वाँ: आप सब ने सेब फल तो खूब खाये हैं, लेकिन जब - जब आपने इसे आधा काटा तब कभी इस तरह गौर किया है की आधा कटा हुआ सेब हूबहू उल्लू के जैसा दिखता है? नहीं देखा ना? तो लीजिये हम दिखाते हैं आपको उल्लू का हमशक्ल।

करेला ग्रुप की मीटिंग: हम सबने तोतों को एक साथ एक ही जगह बैठे हुये तो कई बार देखा है अब जरा यहाँ नज़र डालिये और बताइये ये करेले लग रहे हैं न तोतों की तरह मीटिंग करते हुए.

बैगन बप्पा: ये देखिये कुदरत की एक और सुन्दर कारीगरी। वैसे तो हमने कई बार बहुत सी सब्जियों में भगवान् की आकृति देखी है, लेकिन इस बैगन को देख के सच मैं लगेगा जैसे साक्षात गणपति महाराज दर्शन देने जमीन पर उतर आये हों. अब इसे बैगन कहें या बैगन बप्पा...

भरत मिलाप... कब के बिछड़े: इन दोनों गाजरों को देख के दिल में एक ही गाना याद आता है कि.... कब के बिछड़े हम आज कहाँ आ के मिले। प्रकृति भी किस किस तरह की कला दिखती है ये आप खुद इस तस्वीर को देख के अंदाजा लगा सकते हैं. इसे देख कर ऐसा लगता है जैसे के दोनों बहुत समय बाद एक दूसरे से मिले हों और मिलते ही दोनों ने एक दूसरे को अपनी बाहों में जकड़ रखा हो.

उफ़ इतनी ठण्ड: ठण्ड का कहर तो चारों तरफ देखने को मिल रहा है ऐसे में इस तस्वीर को देख के यही के ऐसे लग रहा है जैसे गरमा गरम सूप में यह गाजर बाथ तब की तरह उसमे बैठ के नहा रही हो.

निम्बू है या हाथी: अब इस छोटे से निम्बू को ही देख लीजिये ये हाथी की शक्ल लिए हुए है, अब इसे कुदरत की कला नहीं तो और क्या कहें?

चेहरा क्या देखते हो?: उल्लू से बिल्कुल मिलता जुलता ये प्याज देखिये इसे देख कर आप भी कहेगे... वाह क्या बात है.

मिर्च का तेज़ दिमाग: इस मिर्च को देख कर आप भी हैरान हो जायेगे की ये मिर्च ही है या किसी इंसान का दिमाग।

क्यों... खाओगे क्या?: इस शिमला मिर्च को देख के ऐसा लगता है जैसे यह पूछ रही हो क्यों... खाओगे क्या? सच में किसी पंच की तरह यह मिर्च तीखी होने के साथ साथ अपनी मुक्केबाजी का भी प्रदर्शन कर रही है.

चलो कहीं उड़ चलें: इस स्ट्राबेरी को देख कर ऐसा लग रहा है मनो कोई खूबसूरत सी तितली गाना गया रही हो कि... चलो कहीं दूर निकल जाएं।

ये कहाँ आ गए हम: हूबहू बतख का हमशक्ल यह टमाटर तो यही बोल रहा होगा की ये कहा आ गए हम.... सच में प्रकृति की कलाकारी के आगे किसी कलाकार की कला मायने नहीं रखती। कुदरत जब अपनी कला दिखाती है तो सब हार मान जाते हैं और ये खूबसूरत नज़ारे लोगों के जहन में बस जाते हैं.

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