क्या आप जानते हैं वास्तुशास्त्र के अनुसार, पूजा एवं प्रार्थना के लिए सर्वोत्तम स्थान कौन सा है
क्या आप जानते हैं वास्तुशास्त्र के अनुसार, पूजा एवं प्रार्थना के लिए सर्वोत्तम स्थान कौन सा है
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वास्तुशास्त्र के अनुसार, पूजा एवं प्रार्थना के लिए सर्वोत्तम स्थान र्इशान कोण को माना जाता है, परन्तु आवश्यकतानुसार भवन के पूर्व या उत्तर दिशा में भी पूजा घर बनाया जा सकता है, लेकिन दक्षिण दिशा में पूजा घर का निर्माण नहीं करना चाहिए। चूंकि अध्ययन कक्ष में पूजा घर बनाया जा सकता है, परन्तु इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसमें संयुक्त शौचालय की व्यवस्था नहीं होनी चाहिए। 

पूजाघर की व्यवस्था शयन कक्ष में भी नहीं होनी चाहिए। पूजा घर में देवी एवं देवताओं की मूर्तियों या चित्रों को लकड़ी की चौकी अथवा सिंहासन के उपर स्थापित करना चाहिए। पूजा घर के कमरे का फर्श अन्य कमरों से उंचा नहीं होना चाहिए एवं पूजा घर में अनुपयोगी एवं अनावश्यक सामान नहीं रखना चाहिए। पूजाघर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियों अथवा चित्रों का मुख उत्तर अथवा पूर्व दिशा की ओर रखना चाहिए।

किसी भी जीवित अथवा मृत व्यकित का चित्र भले ही वह आपका अत्यंत प्रिय या निकटतम क्यों ना हो, पूजा स्थल में नहीं रखना चाहिए। इस प्रकार के चित्रों को पूजा घर अथवा घर के किसी भी कमरे में दक्षिणी दीवार पर लगाया जा सकता है।

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