17 जून को है योगिनी एकादशी, जानिए व्रत कथा
17 जून को है योगिनी एकादशी, जानिए व्रत कथा
Share:

योगिनी एकादशी इस साल 17 जून को आने वाली है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं योगिनी एकादशी की कथा, जिसे सुने बिना पुण्य नहीं मिलता है. आपको बता दें कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से मानव के समस्त पापों का नाश हो जाता हैं और जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। ऐसे में योगिनी एकादशी का व्रत करने से इस लोक में समस्त सुखों के मिलने के साथ स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है. जी दरअसल योगिनी एकादशी तीनों लोकों में पुण्यदायी है और इस एकादशी का व्रत रखने का उतना ही महत्व होता है जितना 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने से मिलता है। तो आइए जानते हैं योगिनी एकादशी कथा.

योगिनी एकादशी कथा - स्वर्ग की अलकापुरी नामक नगरी में कुबेर नाम का एक राजा रहता था. वह शिव भक्त था इसलिए प्रतिदिन शिव पूजा किया करता था. हेम नाम का एक माली शिव पूजन के लिए उसके यहाँ फूल लाया करता था. हेम की विशालाक्षी नाम की सुंदर पत्नी थी. एक दिन वह मानसरोवर से फूल लेकर तो आया लेकिन कामासक्त होने के कारण वह अपनी स्त्री से हास्य-विनोद और रमण करने लगा. इधर राजा उसकी दोपहर तक फूल के लिए राह देखता रहा. अंत में राजा कुबेर ने सेवकों को आज्ञा दी कि तुम लोग जाकर माली के न आने की वजह पता करो, क्योंकि वह अभी तक पूजा के फूल लेकर नहीं आया.

सेवकों ने कहा कि महाराज वह पापी और अतिकामी है, अपनी पत्नी के साथ हास्य-विनोद और रमण कर रहा होगा. यह सुनकर कुबेर ने क्रोधित होकर उसको बुलाया. हेम माली राजा के भय से काँपता हुआ उनके समक्ष उपस्थित हुआ. राजा कुबेर ने क्रोध में आकर कहा- 'अरे पापी! नीच! कामी! तूने मेरे परम पूजनीय देवादिदेव महादेव का अनादर किया है, इस‍लिए मैं तुझे अभी शाप देता हूँ कि तू पत्नी वियोग सहेगा और मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी बनेगा.' कुबेर के शाप से हेम माली का स्वर्ग से पतन हो गया और वह उसी पल पृथ्वी पर गिर गया. धरती पर आते ही उसके शरीर में श्वेत कोढ़ हो गया. उसकी पत्नी भी उसी वक्त अंतर्ध्यान हो गई. मृत्युलोक में आकर माली ने महान दु:ख भोगे, भयानक वन में जाकर बिना अन्न और जल के भटकता रहा. भटकते हुए एक दिन वह मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुँच गया, जो ब्रह्मा से भी अधिक वृद्ध थे और उनका आश्रम ब्रह्मा की सभा के समान लगता था.

हेम माली वहाँ पर जाकर उनके पैरों में पड़ गया. उसे देखकर मार्कण्डेय ऋषि बोले तुमने ऐसा कौन-सा पाप किया है, जिसकी वजह से तुम्हारी यह हालत हो गई. हेम माली ने सारा वृत्तांत ऋषि को कह सुनाया. यह सुनकर ऋषि बोले- निश्चित ही तूने मेरे सम्मुख सत्य वचन कहे हैं, इसलिए तेरे उद्धार के लिए मैं एक व्रत बताता हूँ. यदि तू आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की योगिनी नामक एकादशी का विधिपूर्वक इस व्रत करेगा तो तेरे सब पाप नष्ट हो जाएँगे. यह सुनकर हेम माली ने अत्यंत प्रसन्न होकर मुनि को साष्टांग दंडवत किया. मुनि ने उसको स्नेह के साथ उठाया. हेम माली ने मुनि के कथनानुसार विधिपूर्वक योगिनी एकादशी का व्रत किया. इस व्रत के प्रभाव से अपने पुराने स्वरूप में आकर वह अपनी स्त्री के साथ सुखपूर्वक रहने लगा.

महाभारत से जुड़े इस रहस्य को सुनते ही खड़े हो जाएंगे आपके रोंगटे

शनि की टेढ़ी नजर पड़ते ही होने लगते हैं यह अपशकुन, जानिए यहाँ

22 जून को माँ दुर्गा करेंगी हाथी पर आगमन, शुरू होगा गुप्त नवरात्रि का पर्व

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -