लखनऊ: यूपी में योगी आदित्यनाथ गवर्नमेंट के आज 4 वर्ष पूरे हो चुके है। 19 मार्च 2017 को प्रदेश की कमान अपने हाथ में लेने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ को कानून-व्यवस्था एवं अन्य मु्ददों को लेकर विपक्ष के निशाने का शिकार हमेशा ही रहना पड़ता है। बावजूद इसके उनकी गवर्नमेंट की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है। योगी गवर्नमेंट अभी भी जनता की पहली पसंद बन चुकी है। एबीपी-सी वोटर ने योगी गवर्नमेंट के कामकाज को लेकर हाल ही में एक सर्वे किया है। इस सर्वे में सीएम योगी के 4 वर्ष के शासन के उपरांत जनता की नब्ज टटोलने का प्रयास किया गया है। इस सर्वे में यह बात सामने आई है कि अगर आज की तारीख में चुनाव हुए तो बीजेपी गवर्नमेंट एक बार फिर शानदार बहुमत के साथ सत्ता में वापसी कर सकती है जबकि विपक्षी दल समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस का हाल कमोबेश वही रहने वाला है जो 2017 के चुनाव नतीजे के वक़्त था।
भाजपा अभी भी लोगों की पहली पसंद: जंहा इस बात का पता चला है कि यूपी की योगी गवर्नमेंट आज की तारीख में भी लोगों की पहली पसंद बन चुकी है। सर्वे में शामिल लोगों की राय देखने से पता चलता है कि आज की तारीख में अगर उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए तो बीजेपी (भाजपा) तकरीबन 41 प्रतिशत वोट प्राप्त कर लिए है। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भगवा पार्टी को 41.4 प्रतिशत वोट मिले थे। बीते विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार पार्टी को थोड़े कम वोट मिल सकते हैं। एबीपी-सी वोटर्स का यह सर्वे मार्च 2021 का है।
सपा, बसपा और कांग्रेस के वोट शेयर में मामूली बदलाव: सर्वे में सपा, BSP और कांग्रेस के लिए अच्छी बात उभरकर सामने नहीं आ पाई है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को सत्ता में लौटने की उनकी हसरत अधूरी रह जाती है। सर्वे के अनुसार चुनाव में सपा को 24.4 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं। यह पार्टी को 2017 के विस चुनाव में मिले वोट प्रतिशत से महज 2.4 प्रतिशत अधिक है। बीते विधानसभा चुनाव में सपा को 22 फीसद वोट मिले थे। इसी तरह BSP भी अपने पुराने प्रदर्शन के आस-पास रहने वाली है। बीते विस चुनाव में मायावती की पार्टी को 22.2 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि इस बार उसे 20.8 फीसदी वोट मिल सकते हैं। बसपा के वोट बैंक में 1.4 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है।
गुजरात: विधायकों-मंत्रियों के मास्क न पहनने पर 500 रुपए जुर्माना, आम जनता के लिए 1 हज़ार
पूर्व कांग्रेस सांसद अन्नू टंडन को दो साल की जेल, ट्रेन रोककर किया था विरोध प्रदर्शन
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पांच देशों के राजदूतों से प्रमाण किए स्वीकार