विदेशी धरती पर पहुंच रहा योग का दर्शन
विदेशी धरती पर पहुंच रहा योग का दर्शन
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नई दिल्ली: एक ओर जहां केंद्र की राजग सरकार योग को बढ़ावा देने के लिए 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने पर जोर दे रही है वहीं दूसरी ओर विदेशी धरती पर बसे कुछ लोग प्रारंभ से ही योग के प्रसार में लगे हैं। भारत से योग साधना का मंत्र लेकर ये अपनी धरती पर फूंक रहे हैं और सभी को भारतीय दर्शन के रंग में रंग रहे हैं। भारत के ही कई ऐसे योगी, साधक और धर्म गुरू हैं जो योग को विदेशी धरती पर प्रतिष्ठापित करने में लगे हैं। ऐसे साधकों में कुछ नाम ऐसे हैं जिन्हें कभी भूला नहीं जा सकता। ये योग के साथ दर्शन और आध्यात्म का समावेश कर विश्व को योग का आसान पाठ बता रहे हैं। क्या आपने आर्ट आॅफ लिविंग का नाम सुना है। आर्ट आॅफ लिविंग यानि जीवन जीने की कला।

यह कला इस तरह की है जिसमें जीवन को किस तरह से जीना है इसका संदेश आध्यात्म, धर्म, विज्ञान और चेतना को जागृत करने के साथ बताया गया है मामले में कहा गया है कि आखिर हम शरीर, चेतना, आत्मा और मन को किस तरह से प्रबंधित करते हैं। दूसरी ओर योग गुरू श्रीश्री रविशंकर को सरल जीवन जीने और योग को सुदर्शन क्रिया के माध्यम से जानने के लिए जाना जाता है। यही नहीं स्व. बीकेएस अयंगर ने बाबा रामदेव, श्रीश्री रविशंकर के अतिरिक्त कई योग गुरूओं ने भारत के साथ विश्व के विभिन्न देशों में योग का प्रचार किया।

मामले में कहा गया है कि विदेशों में भी देश में सैकड़ों योग सेंटर हैं जहां योग को युवाओं तक पहुंचाया जा रहा है। हालांकि विदेशों में योग अपनी दो शाखाओं में विभक्त सा हो गया है आध्यात्मिक चेतना और दर्शन दूसरी ओर फिजिकल फिटनेस लेकिन इन दोनों में ही युवाओं को स्वास्थ्य और चेतना के साथ अलौकिक चेतना का अहसास हो रहा है। स्थिति यह है कि 19 वर्ष के लड़के से लेकर 98 वर्ष के वृद्ध तक सभी योग को जानने में लगे हैं। आॅस्ट्रेलिया, फिलिपिंस, ब्रिटेन, अमेरिका, चीन समेत कई देश ऐसे हैं जहां योग किया जाता है।

 

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