योग की क्रांति  से शांति के मार्ग पर चलने की तैयारी!
योग की क्रांति से शांति के मार्ग पर चलने की तैयारी!
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इन दिनों दुनिया में भारत का डंका बज रहा है। अमेरिका, रशिया, फ्रांस, ब्रिटेन, तजाकिस्तान जैसे देश भी भारत से बेहद प्रभावित हैं। वे भारत की प्रतिभा का लौहा मान रहे हैं। मगर इन सभी से हटकर एक महत्वपूर्ण बात यह है कि आधुनिकता और एक दूसरे से आगे पहुंचने की अंधी दौड़ में भाग रही दुनिया कहीं आकर थक चुकी है। अब यह दुनिया अपने लिए विश्राम चाहती है तो मन के लिए सुकून। इस दुनिया के बाशिंदों का तन भी फिट नहीं है। कई सारे रोगों ने स्वयं ही निमंत्रण दे दिया है। जीवन शैली से तंग आए लोग भाग रहे हैं बस भाग रहे हैं। अब तो उन्हें ही पता नहीं है कि वे क्यों भाग रहे हैं।

ऐसे में भारत का दर्शन, प्राचीन ज्ञान, आध्यात्मिक शांति और योग का संबल लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। लोग मान रहे हैं कि योग में कुछ तो ऐसा है जो भगाए रोग। जी हां। अब ये लोग योग के फायदे को मान रहे हैं। 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर विश्वभर में योग किया गया। इस योग को भारत के मुस्लिमों द्वारा भी काफी समर्थन दिया गया लेकिन कुछ कट्टरपंथियों ने इसका विरोध किया और योग के कार्यक्रमों में भाग लेने में रूचि नहीं दिखाई बल्कि दूसरों को भी योगिक क्रियाऐं करने से रोका।

उस समय में पाकिस्तान द्वारा भी योग का आयोजन किए जाने से नाखुशी जाहिर की गई थी। लोकप्रिय आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर द्वारा पाकिस्तान में योग शिविर लगाए जाने की बात को नापंस किया गया और उन्हें हिंसा की धमकी तक दे दी गई लेकिन हाल ही में एक बात सुखद तौर पर सामने आई है कि पाकिस्तान में रहने वाले एक मुस्लिम नागरिक ने वहां योग को सिखाना प्रारंभ किया और आज बड़े पैमाने पर पाकिस्तान के नागरिक योग सीख रहे हैं।

इस नागरिक ने अपने उत्साह से कई लोगों का जीवन शांति, सुकून और उत्साह से भर दिया। अब पाकिस्तान में भी योग की बयार चलने लगी है। योग को धर्म विशेष से देखने का पैमाना बदलने लगा है। तो दूसरी ओर ओम शब्द के उच्चारण का भारत में विरोध करने वाले कट्टरपंथी भी अब इस बात को समझने लगे हैं कि उनके लिए ओम शब्द का उच्चारण सेहतमंद होगा और वह सुकूनभरा होगा। अब योग भारत की सरहद तोडकर काफी आगे निकल गया है इससे भारतवासियों का और इस प्राचीन विधा दोनों का ही मस्तक उंचा होगा।

जो कि देश को फिर से विश्व गुरू के परम पद पर आसीन करने में अपना योगदान देगा। संभावना इस बात की भी है कि बम और बारूद के झमेले में पड़े पाकिस्तान के सियासतदार योग के महत्व को समझेंगे तो फिर वे भी शांति की राह चल पड़ेंगे और विश्व में केवल बंधुत्व का ही भाव होगा। 

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