भारत की माटी से उठी योग की सौंधी खुशबू
भारत की माटी से उठी योग की सौंधी खुशबू
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21 जून। जी हां, इस सुबह वातावरण में बादलों की मौजूदगी के साथ कुछ ठंडक घुली हुई थी, मगर इसके बाद भी सभी जल्दी - जल्दी अपने गंतव्य की ओर जाने की तैयारी में थे। लोगों ने कहीं लोअर पहना तो कहीं स्पोर्टस किट और अपनी चटाई लेकर अपने साथियों और बच्चों को बजाज के पुराने स्कूटर पर बैठाकर चल दिए। जब यह नज़ारा दिखाई दिया तो बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर के दर्शन हुए। क्या छोटा , क्या बड़ा और क्या हिंदू क्या मुसलमान सभी योग के रंग में एकाकार हो गए। विश्व योग दिवस पर ताज़गी और नए उत्साह से भरी सुबह को योग करने के लिए एकत्रित हुई शक्ति ने भारत की एकता के दर्शन करवा दिए। 

इस दौरान बड़ी संख्या में युवतियां और महिलाऐं भी राजपथ पर नज़र आईं और इनके पीछे पुरूषों को भी आखिरकार घर से निकलना ही पड़ा। परिवार - के परिवार देश के कोने - कोने में योग के आसन लगाते, ध्यान करते नज़र आए। केंद्र सरकार द्वारा बरसाए गए योग के अमृत ज्ञान को पाने के लिए हर कोई उत्साह से भरा हुआ दिखाई दिया। लोगों ने एक साथ योग कर विश्व रिकाॅर्ड तो बनाया ही मगर इस दौरान धर्म के दर्शन के साथ स्वास्थ्य जागरूकता का संदेश भी सुनाई दिया। जब विश्व के सबसे उंचे और दुर्गम युद्ध क्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर पर सेनिकों ने योग किया तो लगा जैसे भारत और पुष्ट हो रहा है। यही नहीं कन्याकुमारी के स्वामी विवेकानंद स्मारक पर लोग पहले से ही सूर्योदय का स्वागत योग और सूर्य नमस्कार से करने में जुटे हुए थे। 

गोवा के बीच आज एक अलग संदेश दे रहे थे। यहां भी लोगों ने सूर्य की रश्मियों के साथ वातावरण में चलने वाली बयान का यौगिक क्रियाओं के साथ आनंद लिया। योग की इस क्रिया में लोग ऐसे रम गए जैसे किसी साधना की शुरूआत कर रहे हों। ऐसे में हिंदुस्तान का दिल कैसे पीछे छूट सकता था। दिल के एक एक तार से ओम मंत्र की गूंज निकली तो उस गूंज ने भारत को एक सूत्र में पिरो दिया। ऐसा लगा जैसे भारत माता की उपासना में हर रंग के फूल एक माला में गूंथकर अपनी गंध बिखेरने के लिए तैयार हैं। जब योग का आनंद और चेतना भारत से उठी तो अन्य देशों को भी लगा जैसे अब हर समस्या का समाधान केवल भारत के पास है। 

वह भारत जहां खेतों में काम करने वाला आज भी घुटनों तक धोती पहनता है, जहां का आध्यात्म यह बताता है कि पारिस्थितिकी के संतुलन के लिए नाग उतने ही पूजनीय है जितनी कोई नदी। इसीलिए शायद भारत को सपेरों का देश कहा गया है। मगर विश्व योग दिवस पर यह साबित हो गया कि भारत योग और आध्यात्म के दर्शन की बीन से अशांति के दानव को भी नचा कर दूर कर सकता है।

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