Jul 29 2016 12:28 PM
नई दिल्ली : विश्वभर में बाघों को सहेजने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। मगर भारत में सिंह का संरक्षण करने को लेकर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। भारत के 49 बाघ अभ्यारण्य में बाघों की तादाद 30 प्रतिशत बढ़ी है इसे काफी सकारात्मक माना जा रहा है। गौरतलब है कि वर्ष 2010 में देश में 1706 बाघ मौजूद थे। दूसरी ओर इस वर्ष 70 से अधिक बाघों की मौत हो गई।
भारत में बाघों की इस तरह की मौत को लेकर जो बात सामने आई है उसे काफी गंभीर माना जा रहा है। वन एवं पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे ने भी इसमें चिंता जताई है और उन्होंने कहा है कि बाघों के मरने की घटना 21 है। इस तरह के आंकड़े उत्साहजनक हैं।
मगर देश के बाघ अभ्यारण्य की वास्तविक स्थिति का किसी को पता नहीं चलता है। अभ्यारण्यों का सिमटना एक गंभीर विषय माना गया है। दरअसल गांवों के पुनस्र्थापन से जुड़ा कमजोर कानून वह कारण है जिसमें बाघों का भविष्य जुड़ा है।
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