हर वर्ष 28 जुलाई को विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस मनाया जाता है और इस दौरान लगातार विलुप्ति की कगार पर पहुँच रहे जीव जंतु और वनस्पति की रक्षा का संकल्प लिया जाता है. आज विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस है और इस उपलक्ष्य में इसे समूचे विश्व में मनाया जा रहा है. गौरतलब है कि वर्तमान परिपेक्ष्य में कई प्रजाति ऐसी है जोकि विलुप्त हो रही है. और ऐसे में यह दिवस काफी अच्छा कारक माना जा सकता है.
गौरतलब है कि तीन प्रमुख तत्व जल, जंगल और जमीन इनके बिना प्रकृति अधूरी है. जिस देश में भी ये तीनो मौजूद है वहां समृद्धि को देखा जाता है. जैसे बात भारत की करें तो यहाँ जंगल, वन्य जीव और वनस्पति सब मौजूद है. जी हाँ, हमारे देश में वन्य जीवों की विभिन्न और विचित्र प्रजातियाँ पाई जाती हैं. इनके बारे में जानना भी अपनेआप में काफी मनोरंजक भरा होता है. लेकिन पिछले कुछ समय से यह देखने को मिल रहा है कि कुछ करने के चले इन तीनो को वैश्विक स्तर पर नुकसान हो रहा है. ऐसे में हमें यह जानना बहुत ही जरुरी है कि यदि वन्य जीव भूमंडल पर न रहें तो पर्यावरण पर तथा मनुष्य के आर्थिक विकास पर क्या प्रभाव पड़ेगा? प्रश्न ऐसा है जिसका जवाब भी हमारे सामने है कि यदि ये ना रहे तो हमारी प्रजाति पर बहुत ही बुरा असर हो सकता है. लेकिन इन्हे बचने के भी कुछ तरीके है जोकि हमें अपनी नियमित लाइफ में शामिल करना बहुत जरुरी है. जैसे :
- जंगलों को न काटे.
- जमीन में उपलब्ध पानी का उपयोग तब ही करें जब आपको जरूरत हो.
- कार्बन जैसी नशीली गैसों का उत्पादन बंद करे.
- उपयोग किए गए पानी का चक्रीकरण करें.
- ज़मीन के पानी को फिर से स्तर पर लाने के लिए वर्षा के पानी को सहेजने की व्यवस्था करें.
- ध्वनि प्रदूषण को सीमित करें.
- प्लास्टिक के लिफाफे छोड़ें और रद्दी काग़ज़ के लिफाफे या कपड़े के थैले इस्तेमाल करें.
- जिस कमरे मे कोई ना हो उस कमरे का पंखा और लाईट बंद कर दें.
- पानी को फ़ालतू ना बहने दें.
- आज के इंटरनेट के युग में, हम अपने सारे बिलों का भुगतान आनलाईन करें तो इससे ना सिर्फ हमारा समय बचेगा बल्कि काग़ज़ के साथ साथ पैट्रोल डीजल भी बचेगा.
- ज्यादा पैदल चलें और अधिक साइकिल चलाएं.
- प्रकृति से धनात्मक संबंध रखने वाली तकनीकों का उपयोग करें. जैसे-
- जैविक खाद का प्रयोग
- डिब्बा-बंद पदार्थो का कम इस्तेमाल.
- जलवायु को बेहतर बनाने की तकनीकों को बढ़ावा दें.
- पहाड़ खत्म करने की साजिशों का विरोध करें.