यह दौर अनुमान से भी लम्बा : वर्ल्ड बैंक
यह दौर अनुमान से भी लम्बा : वर्ल्ड बैंक
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नई दिल्ली : हाल ही में बाजार से यह खबर सामने आई है कि भारत की अर्थव्यवस्था को छोड़ कई ऐसे उभरते बाजार मौजूद है जहाँ लगातार पांचवे साल में वृद्धि में कमजोरी देखने को मिल रही है. इसको देखते हुए वर्ल्ड बैंक ने भी यह कहा है कि यह दौर अनुमान से भी काफी लम्बा होता जा रहा है. वर्ल्ड बैंक ने इसके साथ ही अपनी रिपोर्ट "उभरते बाजारों में नरमी: कठिन समय या दीर्घकालिक कमजोरी" में यह बात भी कही है कि वर्ष 2010 के बाद से ही उभरते बाजारों में नरमी के साथ ही पूंजी प्रवाह का धीमा पडऩा, जिंस मूल्य में नरमी और इसके साथ ही कई बाह्य चुनौतियों का भी प्रभाव पड़ रहा है.

रिपोर्ट में यह भी बताया है कि इस कारण ही जहाँ एक तरफ उत्पादकता में कमी बनी हुई है तो वहीँ राजनीतिक अनिश्चितता भी बढ़ी है जिसके कारण घरेलू समस्याओं में भी इजाफा हुआ है. इस स्थिति को देखते हुए वर्ल्ड बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री और वरिष्ठ उपाध्यक्ष कौशिक बसु का यह कहना है कि जहाँ कई समय से उभरते बाजार तेजी देखते हुए आये है वहीँ कुछ समय से इनपर एक दबाव सा बना हुआ है.

इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस गिरावट के बढ़ने के बाद गरीबी को दूर करने का लक्ष्य और भी बहुत दूर हो जाता है. साथ ही इस गिरावट ऐसे क्षेत्रो में और भी अधिक मजबूत हो जाती है जो क्षेत्र संघर्ष के कारण सबसे अधिक प्रभावित हो जाते है. रिपोर्ट का कहना है कि एक बहुत लम्बे और सुनहरे समय के बाद यहाँ यह गिरावट वाला माहौल सामने आ रहा है.

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