वुड साइंस-टेक्नोलॉजी में बेहतर करियर
वुड साइंस-टेक्नोलॉजी में बेहतर करियर
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आप अपना करियर बनाने के लिए वुड साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र का चयन कर सकते है इस क्षेत्र में करियर के बहुत अच्छे-अच्छे अवसर हैं.वर्तमान में इस क्षेत्र में भारी मांग है.तथा यह मांग आगे और भी बढ़ेगी. इस क्षेत्र में ज्ञान अर्जित करने के लिए आपके लिए कई संस्थान है जो आपके लिए सहायक सिद्ध होगें .

हमारे देश में लकड़ी के कुल योगदान में से लगभग 40 प्रतिशत भाग कागज बनाने में प्रयुक्त होता है। टिंबर प्रोसेसिंग उद्योग की प्राइमरी वुड प्रोसेसिंग (सॉ मिलिंग पैनल्स तथा लुगदी एवं कागज) और वानिकी व्यवसायों में रोजगार देने में अहम भूमिका है। इनमें से अधिकांश व्यवसाय लघु तथा मझोले उद्यम हैं। काष्ठ एवं इससे बने विविध उत्पादों का उपयोग बढ़ने से काष्ठ उद्योग तेजी से विकसित हो रहे हैं. 

मेन कोर्सेस-एंट्री

भारत में आईसीएफआरई के अधीन वन अनुसंधान संस्थान विश्वविद्यालय, देहरादून काष्ठ प्रौद्योगिकी में मास्टर डिग्री पाठ्यक्रम चलाता है. काष्ठ प्रौद्योगिकी में स्नातकोत्तर डिग्री पाठ्यक्रम में चयन के लिए कोई भी स्टूडेंट, विज्ञान/वानिकी/कृषि/बुनियादी विज्ञान आदि में स्नातक योग्यता पूरी करने के बाद आवेदन कर सकता है. स्नातकोत्तर डिग्री पाठ्यक्रम में चयन अखिल भारतीय स्तर की प्रवेश परीक्षा के माध्यम से किया जाता है।

इसी तरह काष्ठ विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईडब्ल्यूएसटी), बैंगलुरु, भारतीय प्लाइवुड उद्योग अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (आईपीआईआरटीआई), बैंगलुरु, केंद्रीय लुगदी एवं कागज अनुसंधान संस्थान, (सीपीपीआरआई) सहारनपुर में पीएचडी तथा अनुसंधान पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड (एएसआरबी) जो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, पूसा, नई दिल्ली से संबद्ध है, के द्वारा संचालित वानिकी कोर्स भी बहुत उपयोगी है.इसके अतिरिक्त काष्ठ प्रौद्योगिकी तथा समवर्गी विज्ञान में अध्येतावृत्तियां भी विभिन्न राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों/संगठनों द्वारा चलाई जाती हैं.
 
कोर्स कंटेंट

बीएससी वानिकी में काष्ठ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पढ़ाया जाने वाला एक अनिवार्य विषय है। इंजीनियरी, सामग्री विज्ञान तथा प्रसंस्करण, रसायन विज्ञान या विपणन में रुचि रखने वाले विद्यार्थियों के लिए काष्ठ विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी एक बहुत ही आकर्षक करियर है। यह एक ऐसा मल्टी डिसिप्लीनरी क्षेत्र है, जिसका प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग से सीधा संबंध होने के साथ भौतिकी विज्ञान से भी गहरा जुड़ाव है। काष्ठ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के स्नातक पाठ्यक्रम में एनाटॉमिकल, भौतिकी, रासायनिक तथा यांत्रिक संपत्तियों का ज्ञान शामिल होता है।
 
इसके अतिरिक्त छात्र व्यापक काष्ठ  प्रसंस्करण कार्यों, काष्ठ सीजनिंग, काष्ठ परिरक्षण, पुनर्निर्मित काष्ठ आधारित पैनलों, वन उत्पादों, गोंद, टिंबर इंजीनियरी तथा निर्माण, उत्पाद-डिजाइन तथा अवसंरचना, काष्ठ कार्य तथा परिष्करण और रासायनिक परिशोधन में भी प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं। अपनी रुचि के  करियर के आधार पर छात्र किसी निर्दिष्ट क्षेत्र में अतिरिक्त पाठ्यक्रमों का चयन करके काष्ठ का अपना ज्ञान और विस्तृत कर सकते हैं। कुछ विश्वविद्यालय काष्ठ इंजीनियरी में डिग्री को अपने इंजीनियरी पाठ्यक्रम के एक भाग के रूप में चलाते हैं। काष्ठ प्रौद्योगिकी से संबंधित सभी पहलू पाठ्यक्रमों में सम्मिलित किए जाते हैं। 
 
जॉब आॅप्शंस-इनकम

विनिर्माण, तकनीकी सेवा, अनुसंधान तथा विपणन ऐसे विभिन्न क्षेत्र हैं, जहां काष्ठ प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों की जरूरत होती है। काष्ठ प्रौद्योगिकी में पीजी कैंडिडेट्स केंद्र सरकार, राज्य सरकारों तथा वन विभागों में वैज्ञानिक, हस्तशिल्प संवर्धन अधिकारी, गुणवत्ता निरीक्षक तथा लॉगिंग अधिकारी के पदों पर भर्ती किए जाते हैं। ग्रामीण विकास से जुड़ी परियोजनाओं में काष्ठ प्रौद्योगिकी एक्सपर्ट लघु और कुटीर उद्योगों से संबंधित कार्यों के लिए परियोजना अधिकारी के रूप में नियुक्त किए जाते हैं। निजी क्षेत्र में ये व्यवसायी अपनी विशेषज्ञता के आधार पर काष्ठ आधारित उद्योगों, अनुसंधान एवं विकास कंपनियों में तकनीकी कार्मिक के रूप में नियुक्त होते हैं।

प्रमुख संस्थान 
-इंदिरा गांधी कृषि विवि, रायपुर 
वेबसाइट: www.igau.edu.in
-भारतीय वन प्रबंधन संस्थान
वेबसाइट: : www.iifm.ac.in
-जेएलएन एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, जबलपुर
वेबसाइट: www.jnkvv.org

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