कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन की अवधि को बढ़ा दिया है. इस वजह से विभिन्न राज्यों में प्रवासी मजदूर फंस गए हैं. इन मजदूरों को सरकार वापस इनके गृह राज्य भेजने के लिए विशेष ट्रेनों का संचालन कर रही है. वहीं, कुछ ऐसे भी मजदूर हैं, जो पैदल ही घरों की तरफ चले जा रहे हैं.
इसी तरह की घटना से जुड़ा एक मामला सामने आया है, जिसमें एक महिला एक हाथ में ट्रॉली बैग और दूसरे हाथ में एक नौ महीने के मासूम बेटे को लिए घर की ओर बढ़ रही है. एक शख्स ने इस बारें में बताया है कि महिला तपती धूप में गुजरात के सूरत से एक हजार किलोमीटर का सफर पैदल तय कर इंदौर तक आ गई थी. महिला के पास न तो पैसा था और न ही बच्चे को पिलाने के लिए दूध. एम फॉर सेवा ऑल इंडिया मूमेंट सेवा समिति के सदस्य अजय गुप्ता ने इस बारें में बताया. उन्होंने बताया कि महिला की स्थिति को देखा तो सेवा समिति की मदद से उसके भोजन और पानी के साथ उसके आगे जाने की व्यवस्था कराई गई.
बता दें की गुप्ता ने बताया कि यह बात आठ से नौ दिन पुरानी है. उन्होंने बताया कि सेवा समिति के सदस्य इंदौर बायपास जाने वाले मजदूरों को पानी पिलाने का काम कर रहे थे. तभी उनकी नजर रोड पर ट्रॉली बैग लेकर जा रही एक महिला पर पड़ी. महिला ने एक हाथ में नौ महीने का बच्चा लिया हुआ था. उसने बताया कि वह सूरत से सैंकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर इंदौर पहुंची है. उसे प्रयागराज जाना है. इसके बाद हमने इसकी सूचना पुलिस को दी और पुलिस ने उसके कानपुर तक जाने की व्यवस्था की.
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