इसरो खोलेगा गहरे समुद्र के राज़
इसरो खोलेगा गहरे समुद्र के राज़
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भू विज्ञान मंत्रालय के सचिव माधवन नायर राजीवन ने रविवार को कहा, तीन इंसानों को ले जाने की क्षमता वाली गोलाकार पनडुब्बी का डिजाइन इसरो ने तैयार कर लिया है। अब इसे प्रमाणित करने के लिए एक इंटरनेशनल एजेंसी को भेजा गया है और इसके बाद हम इसका निर्माण करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे। यहां राष्ट्रीय समुद्री तकनीक संस्थान (एनआईओटी) के सिल्वर जुबली समारोह में आए माधवन ने कहा, संभवत: टाइटेनियम से निर्मित किए जाने वाले कैप्सूल के डिजाइन करने में जटिल तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने कहा, इसे डिजाइन करने और प्रमाणित किये जाने के बाद निर्मित करने की जिम्मेदारी भी इसरो को ही दी गई है।

चल रहा है तेजी से काम- माधवन ने जानकारी दी कि 10 हजार करोड़ रुपये की लागत वाले गहरे समुद्र अभियान से जुड़ा वैज्ञानिक व तकनीकी काम पहले ही शुरू हो गया है। इसके लिए इसरो और एनआईओटी के बीच एमओयू हो चुका है। एनआईओटी को मानवीय पनडुब्बी वाहन के लिए इलेक्ट्रोनिक्स और नेविगेशन से जुड़ी तैयारियों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इनके अलावा भी गोवा स्थित राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री शोध संस्थान, कोच्चि स्थित सेंटर फॉर मैरीन लिविंग रिसोर्सेज एंड इकोलॉजी और हैदराबाद स्थित भारतीय राष्ट्रीय समुद्री सूचना सेवा केंद्र को इस अभियान में शामिल किया जायेगा।

सामान्य पनडुब्बी से कैसे है अलग- जानकारी के अनुसार पता चला की, सामान्य पनडुब्बियां जहां समुद्र में तकरीबन 200 मीटर गहराई तक ही नीचे जा सकती है, इसी तरह खासतौर पर खोज अभियान के लिए तैयार किया गया पनडुब्बी वाहन करीब 6000 मीटर की गहराई तक भी खोजबीन करने में समर्थ रहेगा। इसकी मदद से भारत को गहरे समुद्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन करने में सफलता मिल सकती है, वहीं अपनी समुद्री सीमा की गहराई में मौजूद हाइड्रोकार्बन और खनिज तत्वों का भी सर्वे कर पाएंगे। 

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