नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय में मंगलवार को कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज़ लगवा चुके लोगों के लिए बूस्टर डोज लगवाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान केंद्र सरकार ने उच्च न्यायालय में एक शॉर्ट एफिडेविट दाखिल किया. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रतिरक्षा विभाग के डिप्टी डायरेक्टर राम केश की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया कि सरकार की प्राथमिकता अभी देश की पूरी आबादी को वैक्सीन की दोनों खुराक देना है. बता दें कि नए वेरिएंट को लेकर बूस्टर डोज लगाने की मांग की गई है.
केंद्र सरकार ने कहा कि बूस्टर डोज के मामले में दो एक्सपर्ट बॉडी NTAGI और NEGVAC इसके वैज्ञानिक प्रमाणों के बारे में विचार कर रहे हैं. इसके बाद बूस्टर डोज की जरूरत और औचित्य के रूप में कोरोना वैक्सीन के बूस्टर डोज के शेड्यूल पर विचार किया जाएगा. सरकार ने कोर्ट को यह भी सूचित किया कि वर्तमान में फुली वैक्सीनेटेड लोगों को बूस्टर डोज देने के लिए कोई दिशानिर्देश नहीं हैं. इसने कहा कि मौजूदा प्राथमिकता वैक्सीन के लिए पूरी योग्य आबादी को कोविड-19 वैक्सीन की दोनों खुराक देना है.
केंद्र सरकार ने कहा कि भारत में कोरोना वैक्सीन द्वारा मिलने वाली इम्युनिटी की अवधि के बारे में फिलहाल जानकारी सीमित है. ऐसे में इस संबंध में अधिक जानकारी एक निश्चित वक़्त के बाद ही मिल पाएगी. सरकार, न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की बेंच को यह भी बताया कि चूंकि कोरोना वायरस की जैविक विशेषताएं पूरी तरह से ज्ञात नहीं हैं, इसलिए कोविड-19 वैक्सीन की बूस्टर डोज की उपयुक्तता और आवश्यकता पर फैसला अभी नहीं लिया गया है.
राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस पर CM शिवराज ने दी बधाई
बिकने जा रहा पेगासस, जानिए कौन है नया खरीददार!
Indigo विमान में फसे यात्री, लेकिन पता नहीं चला परेशानी का कारण