केंद्र को बदनाम करने के लिए 'झूठी रिपोर्टिंग' करेंगे रविश ? Twitter पर ट्रेंड हुआ #NDTV
केंद्र को बदनाम करने के लिए 'झूठी रिपोर्टिंग' करेंगे रविश ? Twitter पर ट्रेंड हुआ #NDTV
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नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर आज #NDTV जमकर ट्रेंड कर रहा है, जब हमने इसके पीछे का कारण जानने की कोशिश की, तो पता चला कि मीडिया संसथान NDTV के पत्रकार रवीश कुमार को ट्रोल करने के लिए ये हैशटैग चल रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, जाने माने पत्रकार रविश कुमार ने केंद्र सरकार को बदनाम करने के लिए झूठी रिपोर्टिंग की है। हालाँकि, रवीश कुमार को झूठी रिपोर्टिंग क्यों करना पड़ी, ये उन्होंने तो नहीं बताया। किन्तु, सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि, रवीश अक्सर, भाजपा और मोदी सरकार को लेकर पक्षपाती रिपोर्टिंग करते रहे हैं।  
 
ताजा मामला में पत्रकार रवीश कुमार अपने शो में एक सफाई कर्मचारी के मामले को उठाते हुए केंद्र सरकार पर जमकर बरसते हैं। रवीश कुमार कहते हैं कि, 'भारत के चीफ जस्टिस के रूप में न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने आज से अपना कार्यभार संभाल लिया। केंद्र सरकार एक सफाई कर्मचारी के खिलाफ अपील लेकर अदालत पहुंची। चीफ जस्टिस ने केंद्र सरकार को ही फटकार लगाते हुए कहा कि ये क्या हो रहा है। केंद्र सरकार एक सफाईकर्मी के खिलाफ अपील में कोर्ट तक आ गई है? इतनी शक्तिशाली सरकार और एक सफाईकर्मी के खिलाफ यहाँ तक आ गई? सॉरी, डिसमिस, अपील खारिज हो गई।'

रवीश कुमार अपनी रिपोर्टिंग में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहते हैं कि, 'यह फैसला कहीं से भी सामान्य नहीं है। कानून मंत्रालय को जानने वाले और समझने वाले ही बता पाएंगे कि ऐसे कितने कमजोर लोगों के खिलाफ केंद्र सरकार और राज्य सरकारें केस क्यों लड़ रही हैं और अपील में सर्वोच्च न्यायालय तक आ रही हैं। तब जाकर पता चलेगा कि इस फैसले का कितना महत्व और इसका परिणाम कितना दूरगामी है।'

बता दें कि, #NDTV के पत्रकार रवीश कुमार के प्राइम टाइम के इस शो का वीडियो यूट्यूब पर भी मौजूद है। NDTV के हैंडल से इस शो के वीडियो को Youtube पर पोस्ट किया गया है। इसके कैप्शन में वीडियो की तारीख 9 नवंबर 2022 अंकित है। रवीश कुमार का यह झूठ वीडियो के 12वें मिनट से शुरू होता है। 

 

क्या है सफाईकर्मी और सुप्रीम कोर्ट का मामला ?

दरअसल, शीर्ष अदालत के जिस फैसले का जिक्र कर रवीश कुमार अपने प्राइम टाइम में करके केंद्र सरकार पर बरस रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट ने वह फैसला केंद्र सरकार के खिलाफ नहीं, बल्कि तमिलनाडु सरकार के विरुद्ध दिया है। बता दें कि, तमिलनाडु में एमके स्टालिन के नेतृत्व में DMK की सरकार है। लेकिन, अपनी पूरी रिपोर्टिंग में रवीश कुमार ने कहीं भी एमके स्टालिन या तमिलनाडु सरकार का नाम नहीं लिया और पूरा दोष केंद्र सरकार पर मढ़ दिया, जिसका इस केस से कोई लेनादेना ही नहीं था। 

बता दें कि, बुधवार (9 नवंबर) को पद ग्रहण करने के बाद CJI डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की बेंच ने तमिलनाडु सरकार की एक अपील पर सुनवाई की। इस सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु की DMK सरकार को फटकार लगाते हुए याचिका ठुकरा दी थी। शीर्ष अदालत के CJI चंद्रचूड़ ने तमिलनाडु सरकार को लताड़ लगाते हुए कहा कि, 'एक व्यक्ति ने स्कूल में 22 वर्षों तक नौकरी की। इन 22 वर्षों की नौकरी के बाद भी वह बगैर ग्रैच्युटी और पेंशन के घर लौटता है। यह समाज का सबसे निचला वर्ग है। आखिर सरकार एक सफाईकर्मी के खिलाफ कैसे जा सकती है? इतनी ताकतवर सरकार और एक अदने से सफाई कर्मचारी के खिलाफ यहां तक आ गई गई? एक सरकार, स्वीपर के खिलाफ अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर रही है? सॉरी, हम इस अर्जी को खारिज करते हैं।' हम, कोर्ट के दस्तावेज़ की कॉपी भी यहाँ संलग्न कर रहे हैं। 

बता दें कि, इससे पहले भी NDTV ने  2022 का आम बजट के पेश होने के दौरान केंद्र सरकार को घेरने के लिए झूठी खबर चलाई थी और शब्दों के हेर-फेर से जनता को गुमराह करने का कार्य किया था। हालाँकि, NDTV के इस झूठ की पोल प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो (PIB) ने खोली थी। PIB ने NDTV पर फैलाए गए झूठ का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए उस पर फेक न्यूज का स्टैंप लगाया था। अपने ट्वीट में PIB ने बताया था कि जिसे NDTV कॉरपोरेट टैक्स बता रहा है, असलियत में वो कॉपरेटिव टैक्स है।

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