नई दिल्ली : निरंकारी बाबा हरदेव सिंह आज पंचतत्व में विलीन हो गए। उनके पूरे भारत में एक करोड़ से अधिक अनुयायी है। उनके अनुयायी उन्हें भोले बाबा कहकर संबोधित करते थे। उनके पिता गुरबचन सिंह की हत्या के बाद उन्हें मिशन प्रमुख बनाया गया था, जिसके बाद से उन्होने सतगुरु की उपाधि धारण की थी।
संत निरंकारी मिशन की दुनिया भर के 27 देशों में लगभग 100 शाखाएं हैं, तथा इनका मुख्यालय दिल्ली में है। उनके अंतिम दर्शन के लिए जुटी भारी भीड़ से निपटने के लिए पुलिस को भी काफी मशक्कत करनी पड़ी। 13 मई को कनाडा में हुए सड़क हादसे में मारे गए निरंकारी बाब हरदेव सिंह का बुधवार को दिल्ली के निगम बोध घाट पर अंतिम संस्कार किया गया।
वहां उनके दामाद अवनीत सेतिया की भी अंत्येष्टि होगी। बाबा के अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भीड़ इस कदर उमड़ी है कि सड़करों पर विशाल जाम लग गया है। निरंकारी समुदाय के लोगों द्वारा बाबा के अंतिम संस्कार से पहले दर्शन के लिए पहुंचने से आउटर रिंग रोड पर काफी लंबा जाम लग गया है।
सोमवार को बाबा का शव कनाडा से दिल्ली लाया गया था। उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए बुराड़ी स्थित ग्राउंड नंबर 8 में रखा गया था। गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी मंगलवार को बाबा को श्रद्धांजलि देने पहुंचे। बाबा के बाद अब उनकी पत्नी सविंदर कौर उनकी उतराधिकारी बनेंगी।
इशका फैसला मंगलवार को देर रात किया गया। संत निरंकारी मिशन की ओर से फैसबुक पर भी इसकी जानकारी दी गई। पोस्ट में कहा गया है कि सतगुरु बाबा हरदेव सिंह 13 मई को निरंकार में लीन हो गए। उनके जाने से सभी भक्त दुखी हैं। बाबा हरदेव सिंह की पत्नी पूज्य माता सविंदर जी अब संत निरंकारी मिशन की धार्मिक प्रमुख होंगी।
सविंगर कौर को निरंकारी मिशन का प्रमुख चुने जाने के बाद उन्हें सफेद दुपट्टा भेंट किया गया। इस दौरान वहां मैनेजमेंट कमेटी के 21 सदस्य मौजूद थे। 1975 में बाबा की सरविंगर कौर के साथ शादी हुई थी। प्रमुख चुने जाने के बाद उन्होने सभी अनुयायियों को संबोधित किया और कहा कि बाबा की बातों को आगे बढ़ाना है।