ऑक्सीजन की कमी से पत्नी ने दुनिया को कहा अलविदा तो पति ने किया देश को इस तरह ऑक्सीजन देने का फैसला
ऑक्सीजन की कमी से पत्नी ने दुनिया को कहा अलविदा तो पति ने किया देश को इस तरह ऑक्सीजन देने का फैसला
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शादी-शुदा खुशहाल जिंदगी में यदि पति-पत्नी में से किसी एक ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया हो तो जिंदगी और भी वीरान हो जाती है। अहमदाबाद के एक व्यक्ति ध्रुव पटेल के साथ ऐसा ही हुआ। उस समय पूरे देश में ऑक्सीजन की कमी से कोहराम मचा हुआ था। इसी बीच  उनकी पत्नी नेहा भी कोविड संक्रमित हो गई। ध्रुव नेहा में ऑक्सीजन सैचुरेशन की कमी को पूरा करने के लिए अस्पतालों के दर-दर भटकता रहा लेकिन कहीं ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं हो पाई। अंत में ऑक्सीजन की कमी की वजह से ध्रुव की पत्नी की जान चली गई । ध्रुव बीते एक महीने से हताश, परेशान और दुखों से भरा हुआ था। अचानक पत्नी के सम्मान में उसे एक बात याद आई और उसने प्रकृति में ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए पेड़ लगाने शुरू कर दिया। और देखते-देखते उन्होंने 450 पेड़ लगा डाले। आस-पास के लोग ध्रुव के इस काम की खूब बढ़ाई कर रहे है।

कोरोना से पत्नी की मौत: ध्रुव कहते हैं कि उनका 17 वर्ष का खुशहाल शादी-शुदा जीवन था। उनकी पत्नी नेहा अब उसके जीवन में नहीं है। वह कहते हैं, तकरीबन एक माह पहले 12 मई को नेहा हमें छोड़कर इस दुनिया से चली गई। मेरे परिवार में 5 में से 4 लोग कोविड से पीड़ित हो गए। मैं, मेरी पत्नी, मेरा बेटा और मेरे पिताजी। सिर्फ मेरी मां को कोविड नहीं हुआ। हम सब पीड़ित थे लेकिन नेहा की परेशानी बढ़ने लगी। उसे सांस लेने में मुश्किल होने लगी। तब हमने अस्पतालों को छान मारा। उसके लिए सब कुछ किया लेकिन वह बच न पाई। ध्रुव ने बोला, पिछला 30 दिन मेरे जीवन का ऐसा खालीपन लाए हैं जिसे कभी नहीं भरा जा सकता।

तीन पेड़ लगाना हमारा फर्ज: जंहा ध्रुव और उनका 15 वर्ष का बेटा पूर्वा ने नेहा को अनोखे तरह से श्रद्धांजलि देने के लिए 450 पेड़ लगा डाले। चूंकि नेहा ऑक्सीजन कमी की वजह से गई, इसलिए परिवार ने यह ठान लिया कि प्रकृति में ऑक्सीजन की कमी नहीं होने देंगे। उसने इसके लिए शपथ ली। ध्रुव ने बोला, सिद्धपुर जहां हमने नेहा का अंतिम संस्कार किया था, वहां से हमने पेड़ लगाने का फैसला किया। उन्होंने बोला कि एक ब्राह्मण ने मुझसे बोला कि जीवन में कम से कम तीन पेड़ लगाओ जो फले-फूले भी। ब्राह्मण ने जिसकी वजह बताते हुए कहा कि जब किसी का अंतिम संस्कार होता है तब दूसरे के लगाए पेड़ की लकड़ी से अंतिम संस्कार होता है। यह धरती पर अंतिम विदाई के वक्त दूसरों की तरफ से दी गई भेंट है। इसलिए हर इंसान को इस उपकार को लौटाने या अन्य को उपहार में देने के लिए कम से कम तीन पेड़ अवश्य लगाना चाहिए। ध्रुव ने कहा, मुझे उनकी बातों ने दिल को छू लिया और मैंने निर्णय किया कि मैं पेड़ लगाने का काम करूंगा।

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