क्यों पड़ा इन देवी का नाम धूमावती
क्यों पड़ा इन देवी का नाम धूमावती
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पुराणों में मां धूमावती के बारे में एक रोचक कथा का उल्लेख मिलता है. एक बार देवी पार्वतीजी को बहुत तेज भूख लगती है ,और वह भगवान शिव से कुछ भोजन लाने को कहती है, उनकी बात सुन महादेव देवी पार्वती जी से कुछ समय इंतजार करने को कहते हैं.

समय बीतने लगता है परंतु भोजन की व्यवस्था नहीं हो पाती और देवी पार्वती भगवान शिव को ही निगल जाती हैं. महादेव को निगलने पर देवी पार्वती के शरीर से धुआं निकलने लगता है.

तब भगवान शिव माया द्वारा देवी पार्वती से कहते हैं कि देवी, धूम्र से व्याप्त शरीर के कारण तुम्हारा एक नाम धूमावती होगा. भगवान कहते हैं तुमने जब मुझे खाया तब विधवा हो गईं अत: अब तुम इस वेश में ही पूजी जाओगी.

धूमावती देवी का स्वरूप विधवा का है और कौवा इनका वाहन है, वह श्वेत वस्त्र धारण किए हुए, खुले केश रुप में होती हैं. देवी का स्वरूप चाहे जितना उग्र क्यों न हो वह संतान के लिए कल्याणकारी ही होता है.

मां धूमावती के दर्शन से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है. देवी नक्षत्र ज्येष्ठा नक्षत्र है इस कारण इन्हें ज्येष्ठा भी कहा जाता है. ऋषि दुर्वासा, भृगु, परशुराम आदि की मूल शक्ति धूमावती हैं. 

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