आप जानते ही होंगे कि हिंदू धर्म में रामायण को बहुत ही खास माना जाता हैं और रामयण पढ़ने वाले को यह पता है कि उसमे कई ज्ञान की बातें भी बताई गई है. ऐसे में सभी लोग रामायण और रावण के किरदार के बारे में जानते हैं मगर रावण का चरित्र नकारात्मक होने के बाद भी वह पराक्रमी और योद्धा कहलाता था. जी हाँ, कहते हैं रावण ने कई सारे देवी देवताओं को अपने वश में कर लिया था और वः सभी को अपने वश में रखता था. ऐसे में रावण ने अपने पूरे जीवनकाल में कई युद्ध अकेले ही जीते थे और अब आप सोच रहे होंगे कि भला इतना पराक्रमी व्यक्ति का सर्वनाश कैसे हो सकता हैं तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह से रावण की बहन शूर्पणखा उसके सर्वनाश का कारण बनी थी.
जी हाँ, आइए बताते हैं आपको. जी दरअसल रावण का नाश होने में भगवान श्री राम की शक्ति के साथ ही रावण की बहन का दिया हुआ श्राप भी शामिल हैं जिसकी वजह से रावण के पूरे कुल का नाश हो गया. कहा जाता है विद्युतजिव्ह राजा कालकेय का सेनापति था. लंकापति रावण हर राज्य को जीतकर अपने राज्य में मिलाना चाहता था. इस कारण रावण ने कालकेय के राज्य पर चढ़ाई कर दी थी. कालकेय का वध करने के बाद रावण ने विद्युतजिव्ह का भी वध कर दिया था.
ऐसा कहा जाता हैं कि रावण इस बात के बारे में कुछ भी नहीं जानता था कि उसकी बहन कालकेय के सेनापति से प्रेम करती हैं और बिना जाने ही उसने विद्युतजिव्ह को मार दिया, जबकि कई पौराणिक कहानियों में माना जाता हैं कि रावण यह बात जानता था और इसी कारण उसने उस योद्धा की हत्या कर दी. वही शूर्पणखा को जब इस बात का पता चला तो वो गुस्से और दुख के कारण रोने लगी और उसने दुखी मन से रावण को श्राप देते हुए कहा कि मेरे ही कारण तुम्हारा सर्वनाश होगा. वहीं आपने रामायण में पढ़ा होगा, ऐसा ही हुआ था.
सगुण काव्यधारा और रामभक्त शाखा के कवि थे तुलसीदास, की थी इन ग्रंथों की रचना