Dec 18 2016 02:50 PM
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जी हँसकर बोले:– -हे मारूति सुत सारे राक्षसों का बध तो मैने कर दिया लेकिन ये राक्षस मेरे हाथों से मरने वाला नही है . इसे भगवान भोलेनाथ का वरदान प्राप्त है कि जब त्रेतायुग में सीता और लक्ष्मण का तन एक तत्व में बदल जायेगा तब उसी तत्व के द्वारा इस राक्षस का बध होगा . और वह तत्व रूद्रावतारी हनुमान के द्वारा अस्त्र रूप में प्रयुक्त किया जाये .
सो हनुमान इस जल को तत्काल सरयु जल में अपने हाथों से प्रवाहित कर दो. इस जल के सरयु के जल में मिलने से अघासुर का बध हो जायेगा और सीता तथा लक्ष्मण पुन:अपने शरीर को प्राप्त कर सकेंगे .
हनुमान जी ने घडे के जल को आदि गायत्री मंत्र से अभिमंत्रित करके सरयु जल में डाल दिया .घडे का जल ज्यों ही सरयु जल में मिला त्यों ही सरयु के जल में भयंकर ज्वाला जलने लगी उसी ज्वाला में अघासुर जलकर भस्म हो गया .
और सरयु माता ने पुन: सीता तथा लक्ष्मण को नव-जीवन प्रदान किया .
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