मुस्लिम क्यों सिर्फ दाढ़ी रखते हैं मुछ नहीं
मुस्लिम क्यों सिर्फ दाढ़ी रखते हैं मुछ नहीं
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हर मज़हब, हर धर्म को पहचानने के लिए हम सब ने अपने दिमाग में कई तस्वीरें बना रखी हैं.

अगर किसी व्यक्ति ने पगड़ी पहन रखी हैं तो वह पंजाबी ही होगा या किसी ने अगर धोती पहनी हैं तो वह हिन्दू होगा या फिर किसी व्यक्ति ने अगर टोपी लगायी हैं और दाढ़ी रखी हैं तो वह मुसलमान ही होगा लेकिन यह सब हमारे दिमाग का सिर्फ एक मज़हबी फ़ितूर मात्र हैं.

पर कभी आपने सोचा कि मुस्लिम सिर्फ दाढ़ी क्यों रखते हैं मूछें नहीं?

आईएं आज हम आप को बताते हैं मुस्लिम धर्म से जुड़ी एक दिलचस्प बात.

दरअसल यह कहा जाता हैं कि हिन्दू धर्म ही सबसे पुराना और सनातन धर्म हैं. हिन्दू धर्म का इतिहास कितना पुराना हैं इस बात की पुष्टि अभी तक नहीं हुई हैं, वही इस्लाम धर्म लगभग 1400 साल पुराना हैं.

वेद व्यास जी अभी तक 18 पुराण लिख चुके हैं और भविष्य पुराण उनमे से एक हैं. हिन्दू धर्म के अंतर्गत कई तरह के पुराण और ग्रन्थ लिखे गए हैंऔर उन्ही ग्रन्थों में से एक भविष्य पुराण में इस्लाम से जुड़ी भविष्यवाणी पहले ही कर दी थी. इस पुराण में लगभग 50000 श्लोक थे लेकिन तक्षशिला विश्व विद्यालय में रखे इस ग्रन्थ को मुग़ल शासन काल में जला दिया गया पर उस किताब में से 129 अध्याय और लगभग 14000 श्लोक बच गए थे.

इस किताब में यह पहले से ही उल्लेखित था कि उस वक़्त के तात्कालीन राजा हर्षवर्धन के साथ और कई राजा, अलाउदीन, तुगलक, तैमुर, बाबर, और अकबर जैसे मुगलों का इस काल आना होगा.

इस पुराण में ईसाई धर्म के प्रमुख ईसा मसीह के जन्म का भी प्रमाण मिलता हैं.

लेकिन इससे पहले भी अपने भारत देश की शक्ति कम होती देख एक और राजा हुए, जो राजा भोज के नाम से जाने गए और उन्होंने  तय किया कि अपनी मातृभूमि की रक्षा करने के लिए दुनिया जीतने निकलना ही पड़ेगा. अपनी दस हज़ार सेना को साथ लेकर कई विद्वानों और कालीदास जैसे बुध्हिजीवी राजा के साथ आगे बढ़े.

सिन्धु नदी पार करके गंधार और कशमीर में शठ राजाओं को हरा कर राजा भोज की सेना ईरान और अरब होते हुए मक्का पहुची. वहां के मरुस्थल में पहुच कर जब वहां उन्होंने एक शिवलिंग देखा तो उसकी पूजा करते हुए वह भगवान् शिव का ध्यान करने लगे.

भगवान् शिव भी राजा भोज की प्रार्थना सुनकर उनसे बात करने आये और उनसे कहा कि तुम्हे यहाँ नहीं आना चाहियें था वत्स. तुम्हे मक्केश्वेर (जिसे आज हम मक्का के नाम से जानते हैं) के बजाये उज्जैन महाकालेश्वेर को पूजना चाहियें. इस स्थान पर अब एक राक्षस त्रिपुरासुर, जिसका मैंने वध किया था, उसके मानने वालें लोगों को असुरराज बाली से संरक्षण प्राप्त हो रहा हैं और इस समुदाय का प्रमुख “महा-मद” (मद से भरा हुआ व्यक्ति जिसे आज मोहम्मद भी कहते हैं) उत्पात मचा रहा हैं इसलिए तुम इस मलेच्छ जगह से चले जाओ.

भगवान् शिव की बात सुनकर राजा भोज जब लौटने लगे तब “महा-मद” वहा आ गया और राजा भोज से कहा कि आप का आर्यधर्म विश्व का सर्वश्रेष्ट धर्म हैं, लेकिन मैं आपके शिव की मदद से ही एक ऐसे धर्म की स्थापना करूँगा जो अपनी  क्रूरता के लिए जाना जायेगा. इसे मानने वालो को अपना लिंगाछेदन (खतना) कर के, बिना तिलक और बिना मुछों के सिर्फ दाढ़ी रखना अनिवार्य होगा. मेरा यह सम्प्रदाय उन्हें बहुत प्रिय होगा जिसे कुछ भी खाना (मांस) स्वीकार्य होगा और अपनी इस बात का यकीन दिलाने के लिए मैं आपके देश में आकर अपने मूंछ के बाल को त्याग दूँगा.

कश्मीर के हजरत बल मज्जिद में आज भी हजरत मोहम्मद के मुछों के उन बालों को सुरक्षित रखा गया हैं. हजरत के उस बाल को “मोई-ए-मुकद्दस” के नाम से जाना जाता हैं. हर मुस्लिमों के लिए उस बाल का दर्शन हो सके इसके लिए साल में एक या दो बार ही उस बक्से को खोला जाता हैं.

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