इस ख़ास वजह से 21 जून को ही मनाते हैं अंतरराष्ट्रीय योग दिवस
इस ख़ास वजह से 21 जून को ही मनाते हैं अंतरराष्ट्रीय योग दिवस
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हर साल योगा दिवस 21 जून को मनाया जाता है. ऐसे में कहते हैं भारत में योग को स्वस्थ रहने की लगभग 5000 साल पुरानी मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक पद्धति के रूप में मान्यता प्राप्त है और यह हमारे देश के लोगों की जीवनचर्या का हिस्सा है. ऐसे में बहुत कम लोग जानते हैं कि 21 जून को ही क्यों मनाया जाता है योगा दिवस.

21 जून को ही क्यों?- जी दरअसल 21 जून के दिन को विश्व योग दिवस के लिए चुनने की भी एक खास वजह है जो यह है कि यह दिन उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे लंबा दिन है, जिसे ग्रीष्म संक्रांति भी कह सकते हैं. कहा जाता है भारतीय संस्कृति के दृष्टिकोण से, ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है और सूर्य के दक्षिणायन का समय आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त करने में बहुत लाभकारी है. आप सभी को बता दें कि पहली बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून, 2015 को मनाया गया था. वहीं उस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में 35 हजार से अधिक लोगों और 84 देशों के प्रतिनिधियों ने दिल्‍ली के राजपथ पर योग के 21 आसन किए थे और इस समारोह ने दो गिनेस रेकॉर्ड्स की स्थापना की. सबसे बड़ी योग क्लास 35,985 लोगों के साथ और 84 देशों के लोगों द्वारा इस आयोजन में एक साथ भाग लेने का रेकॉर्ड बना.

इसके बाद दूसरा योग दिवस 21 जून, 2016 को चंडीगढ़ में मनाया गया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में सैकड़ों लोगों ने योग के आसन किए. वहीं साल 2017 में तीसरे अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में लखनऊ में बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया गया था और इस दौरान 51 हजार लोगों ने हिस्‍सा लिया. खबरें हैं कि इस बार का मुख्य योग कार्यक्रम देवभूमि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में होगा और साल के इस सबसे लंबे दिन लोग अपने जीवन को अधिक से अधिक लंबा और स्वस्थ बनाए रखने का संकल्प लेने वाले हैं. आप सभी को यह भी बता दें कि योग का इतिहास पूर्व वैदिक काल (2700 ईसा पूर्व) में एवं इसके बाद पतंजलि काल तक योग की मौजूदगी के ऐतिहासिक साक्ष्‍य देखे गए और मुख्‍य स्रोत, जिनसे हम इस अवधि के दौरान योग की प्रथाओं तथा संबंधित साहित्‍य के बारे में सूचना प्राप्‍त करते हैं, वेदों (4), उपनिषदों (18), स्‍मृतियों, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, पाणिनी, महाकाव्‍यों (2) के उपदेशों, पुराणों (18) आदि में उपलब्‍ध हैं. योग के विज्ञान की उत्‍पत्ति हजारों साल पहले हुई थी, पहले धर्मों या आस्‍था के जन्‍म लेने से काफी पहले हुई थी जो आज तक जारी है.

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