जानिए किस कारण भगवान गणेश का है एक ही दांत
जानिए किस कारण भगवान गणेश का है एक ही दांत
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बुधवार को पूरे विधि विधान के साथ प्रभु श्री गणेश की आराधना की जाती है। प्रभु श्री गणेश श्रद्धालुओं पर खुश होकर उनके दुखों को हरते हैं तथा सभी की इच्छाएं पूर्ण करते हैं। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, कोई भी शुभ कार्य करने से पूर्व प्रभु श्री गणेश की आराधना की जानी आवश्यक है। प्रभु श्री गणेश सभी भक्तों के दुखों को हरते हैं। प्रभु श्री गणेश खुद रिद्धि-सिद्धि के दाता तथा शुभ-लाभ के प्रदाता हैं। वह श्रद्धालुओं के सकंट, रोग-दोष और दरिद्रता को दूर करते हैं। 

शास्‍त्रों के मुताबिक माना जाता है कि भगवान गणेश जी की खास पूजा का दिन बुधवार है। कहा जाता है कि बुधवार को गणेश जी की पूजा तथा उपाय करने से हर परेशानी का निवारण हो जाता है। वही गणेश पुराण में पांच खंड हैं। पहला खंड आरंभ खंड है। दूसरा खंड परिचय बताता हुआ परिचय खंड है। सभी खंडों में कथाओं के जरिये गणेश जी की लीलाओं को बताया गया है। तीसरा खंड मां पार्वती पर आधारित खंड है। इसमें पार्वती जी के जन्म तथा शिव विवाह की कथा है। 

वही गणेश जी से संबंधित कई प्रकार की कहानियां गणेश पुराण में मिलती हैं। जैसे गणेश जी के एकदंत नाम पड़ने की कथा भी यहां दी गई है। इसमें भी कई प्रकार की कहानियां हैं। जैसे एक स्थान कहा गया है कि गणेश जी महाभारत लिख रहे थे। उन्हें लिखने के लिए कलम की आवश्यकता थी तथा उन्होंने अपने एक दांत को कलम बना लिया। गणेश पुराण में एक कहानी गजमुखासुर की भी मिलती है। कथा यह है कि इस राक्षस को किसी भी अस्त्र-शस्त्र से न मारे जा सकने का आशीर्वाद था। तब प्रभु श्री गणेश ने अपने दांत से इसका वध किया था।

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