दिल्ली: 3 सरकारी और 3 निजी संस्थान को आज केंद्र सरकार ने इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस का दर्जा. रिलायंस फाउंडेशन के जियो इंस्टीट्यूट को जो की एक निजी संस्थान है का नाम भी इस लिस्ट में दर्ज है. ये संस्थान असलियत के धरातल पर नहीं है मतलब फ़िलहाल अभी तक इसका कोई अस्तित्व नहीं है. अब इस पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय से सवाल कए जाना भी लाजमी है क्योकि नामों की घोषणा के बाद सोशल मीडिया के इस दौर में मामला गरमा रहा है. एक संस्थान को अस्तित्व में आने से पहले उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा दिया जाना कोई मामूली बात तो नहीं है और अगर दिया गया तो उसका आधार क्या है.
हालांकि सरकार ने अपने इस फैसले का बचाव और स्पष्टीकरण जारी भी सोशल मीडिया पर ही दिया और एक ट्वीट किया , मंत्रालय ने कहा इस संस्थान को ग्रीनफील्ड कैटेगरी के अधीन शामिल किया गया है. यह एक ऐसी कैटेगरी होती है, जिसमें उन संस्थानों को शामिल किया जाता है, जो अभी अस्तित्व में नहीं है और जल्द ही बनने जा रहे हैं. मंत्रालय ने आगे कहा है कि ईईसी (एमपॉवर्ड एक्सपर्ट कमेटी) ने यूजीसी रेगुलेशन 2017 (क्लॉज 6.1) के आधार पर 11 प्रपोजल प्राप्त किए थे, लेकिन जियो इंस्टीट्यूट मानकों पर खरा उतरा है. बता दें कि यह प्रोविजन आगामी शिक्षण संस्थानों के लिए है.
मंत्रालय के चार मानक -
- इंस्टीट्यूट बनाने के लिए जमीन उपलब्ध हो.
- शीर्ष योग्यता और व्यापक अनुभव वाली टीम रख रहे हो.
- इंस्टीट्यूट स्थापित करने के लिए फंड जुटा सके.
- मील का पत्थर साबित करने के लिए एक रणनीतिक प्लान होना चाहिए.
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