जब गुस्से में शिव जी ने काट दिया था ब्रह्मा जी का गला
जब गुस्से में शिव जी ने काट दिया था ब्रह्मा जी का गला
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सोमवार का दिन भोलेनाथ का दिन माना जाता है। इस दिन शिव जी का पूजन करने से बड़े लाभ होते हैं और हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। ऐसे में आज हम आपको वो कथा बताने जा रहे हैं जब एक बार ब्रह्मा जी भी शिव जी के गुस्से का शिकार हो गए थे। यह कथा आपको हैरान कर देगी।

पौराणिक कथा- प्राचीन समय में एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी में वर्चस्व की लड़ाई हुई। दोनों देव लड़ते-लड़ते महादेव के पास पहुंचे। उन्होंने भगवान शिव से कहा कि आप इस बात का निर्णय करिए कि हममें से कौन श्रेष्ठ है। उनकी बात सुनकर भगवान शिव ने उन्हें एक शिवलिंग देकर उनका आदि और अंत पता लगाने को कहा। साथ ही यह भी कहा कि जो इस सवाल का जवाब देगा वही श्रेष्ठ माना जाएगा। उनकी बात सुनकर भगवान विष्णु आसमान की तरह चल दिए और ब्रह्मा जी धरती की तरफ।

भगवान विष्णु जब बहुत ऊपर पहुंचे तब भी उन्हें शिवलिंग के आदि-अंत का पता नहीं चला। वहीँ ब्रह्मा जी भी इसका पता नहीं लगा सके। धरती से लौटते समय जब ब्रह्मा जी ने पलट कर देखा तो एक छोटा सा केतकी का फूल भी उनके पीछे पीछे चला आ रहा था। ब्रह्मा जी ने केतकी के फूल को अपने पक्ष में गवाही देने के लिए तैयार कर लिया। शिव जी के पास पहुंच कर ब्रह्मा जी ने कहा कि मैंने सब पता कर लिया है और केतकी के फूल ने भी उनकी हां में हां मिलाई। भगवान् शिव तो त्रिकालदर्शी हैं उनसे कहां कुछ छिपा रहता है। शिव जी जान गए कि ब्रह्मा जी और केतकी का फूल झूठ बोल रहे हैं। क्रोध में आकर भगवान शिव ने ब्रह्मा जी का गला काट दिया और केतकी के फूल को झूठ बोलने के कारण अपनी पूजा से वंचित कर दिया।

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