नागपंचमी : भगवान शिव के गले में क्यों लिपटे रहते हैं नाग देवता ?
नागपंचमी : भगवान शिव के गले में क्यों लिपटे रहते हैं नाग देवता ?
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सावन माह में सावन सोमवार के साथ ही कई त्यौहार आते हैं। इनमें रक्षाबंधन, हरियाली तीज, हरियाली अमावस्या जैसे प्रमुख त्यौहार शामिल है। वहीं सावन के इसी पवित्र माह में ही नाग पंचमी का त्यौहार भी आता है, जो कि नाग देवता को समर्पित होता है। नाग देवता का इतिहास काफी पुराण और धार्मिक है। भगवन शिव भी उन्हें अपने गले में धारण किए रहते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर क्यों भगवान शिव के गले में नाग देवता सदा विराजित रहते हैं ? तो आइए जानते हैं इस राज़ के बारे में 

भगवान शिव के गले में क्यों लिपटे रहते हैं नाग देवता ?

दरअसल, बात यह है कि भगवान शिव ने जब समुंद्र मंथन किया था, तो उस समय रस्सी का काम नाग ने ही किया था। भगवान शिव का नाम वासुकि बताया जाता है। वासुकि शिव जी की भक्ति किया करते थे और इससे खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें अपने गले में आभूषण के रूप में सजाने के लिए कहा। इसे वासुकि ने सहर्ष स्वीकार कर लिया था।

कब मनाते हैं नागपंचमी ?

प्रति वर्ष सावन माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी के रूप में मनाया जाता है। बता दें कि नाग देवता को पंचमी तिथि का स्वामी माना जाता है और सावन की यह पंचमी उन्हें ही समर्पित रहती है।  

कैसे मनाते हैं नागपंचमी ?

नागपंचमी के दिन नाग देवता का पूजन किया जाता है। नाग देवता को इस दिन दूध पिलाने की परंपरा भी है। मंदिरों या घरों में इस दिन नाग देवता की विधिवत पूजा होती है और नाग की कृपा के लिए इस दिन घर के मुख्य द्वार पर नाग प्रतिमा या चित्र भी बनाया जाता है।  साथ ही इस दिन कई लोग व्रत भी रखते हैं। चतुर्थी तिथि को एक समय भोजन करने के बाद पंचमी तिथि को नागपंचमी की पूजा-पाठ करने के बाद इसका व्रत शाम के समय खोला जाता है।  

 

 

 

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