इस वजह से इंसानों की अपेक्षा जानवरों की उम्र होती है कम
इस वजह से इंसानों की अपेक्षा जानवरों की उम्र होती है कम
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इस धरती पर सभी जिव-जंतु के मौत का दिन तय है. फिर चाहे वो इंसान हो या जानवर. मोटे तौर पर अंदाजे और रिसर्च की बुनियाद पर किसी भी जानदार की उम्र का सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है. जानवरों की उम्र इंसान से कम होती है. इंसान के मुकाबले वो तेजी से बूढ़े होते हैं और जल्द ही खत्म हो जाते हैं. अगर कोई पालतू कुत्ता दस साल जी ले तो माना जाता है कि उसने इंसानी जिंदगी के 70 साल जी लिए. माना जाता है कि कुत्ता एक साल में इंसान की जिंदगी के सात साल जीता है. लेकिन नई रिसर्च कहती हैं कि पालतू कुत्तों की उम्र का गणित समझना इतना भी आसान नहीं है. मिसाल के लिए कुत्तों की ज्यादातर नस्लों में शारीरिक संबंध बनाने की ख्वाहिश 6 से 12 साल की उम्र में पैदा होने लगती हैं. वहीं बहुत सी नस्ल के कुत्ते 20 साल तक जीते हैं. ऐसे में अगर माना जाए कि कुत्ता एक साल में इंसानी जिंदगी के सात साल के बराबर जीता है तो कुछ नस्ल के कुत्तों की उम्र 120 साल हुई. यानि इंसानी जिंदगी से दो गुना ज्यादा. ऐसा नहीं है कि सभी नस्ल के कुत्ते एक समान उम्र जीते हैं. उनकी उम्र उनकी नस्ल पर निर्भर करती है. मिसाल के लिए छोटे कुत्ते ज्यादा लंबी उम्र जीते हैं और बड़े कुत्तों के मुकाबले धीमी गति से बूढ़े होते हैं.

अब सवाल पैदा होता है कि उम्र से हमारी मुराद क्या है. कोई भी जानदार पैदा होने से मरने तक जितना समय जीवित रहता है वो उम्र कहलाती है. लेकिन ये उम्र की कालानुक्रमिक परिभाषा है. उम्र की एक जैविक परिभाषा भी है. जिसका पैमाना सेहत की गुणवत्ता के आधार पर होता है. यानी अगर किसी की उम्र 20 साल है लेकिन उसकी सेहत खराब रहती है तो जाहिर है उसका शरीर तेजी से कमजोर हो रहा है और वो बूढ़ापे की ओर बढ़ रहा है. इसके लिए फ्रेलिटी इंडेक्स का इस्तेमाल किया जाता है. इसके तहत किसी व्यक्ति की बीमारियां, उसके दिन भर के कामकाज का ब्यौरा, और उसकी समझ को परखा जाता है. फिर इसे दो स्तर पर बांटा जाता है. पहला है जीन का स्तर.

जीन शरीर में प्रोटीन पैदा करते हैं. और ये उम्र के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग स्तर पर पैदा होते हैं. दूसरा है शरीर में प्रतिरोधक क्षमता वाली कोशिकाओं की मात्रा. जिस तेजी से जैविक आयु बढ़ती है उसमें कई वंशानुगत कारक, इंसान की दिनचर्या और उसकी मांसिक सेहत बहुत असर डालती है. डीएनए मिथाइलेशन से भी उम्र का सही अंदाजा लगाने में मदद मिलती है. डीएनए एक जैविक प्रक्रिया है जिसमें कई मिथाइल ग्रुप जुड़े होते हैं. यानि एक कार्बन एटम के साथ तीन हाईड्रोजन एटम जुड़े होते हैं. मिथाइलेशन डीएनए के क्रम में छेड़छाड़ के बग़ैर उसे प्रभावित कर सकता है. अलग-अलग तरह की प्रजातियों में कई तरह के शारीरिक विकास एक समान होते हैं जैसे दांतों का निकलना. लिहाजा इंसान और लेबरेडोर कुत्ते की मिथाइलेशन स्तर का मिलान करते हुए रिसर्चरों ने एक फॉर्मूला तैयार किया है जिसकी बुनियाद पर कुत्तों की सही उम्र का अंदाजा लगाया जा सकता है. बता दे कि कुत्ते तेज गति से अपनी मध्यम उम्र तक पहुंचते हैं और फिर धीरे-धीरे बुढ़ापे की ओर जाते हैं. माना जा सकता है कि कुत्ते की जिंदगी का पहला साल इंसान की जिंदगी के 31 साल के बराबर मापा जाता है. फिर इसके बाद कुत्तों की कानानुक्रमिक आयु इंसान की आयु के डबल हो जाती है. यानि अगर इंसान की उम्र के आठ साल होते हैं तो वो कुत्तों की उम्र के लिए तीन गुने गिने जाते हैं. 

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