दीपो का त्यौहार- दीपावली
दीपो का त्यौहार- दीपावली
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इंदौर। दीपावली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या पर मनाया जाता है। इस दिन पृथ्वी पर घना अंधकार रहता है। जिसे दूर करने के लिए सभी ईश्वर के दरबार में लगाए गए दीपों को हर ओर लगाते हैं और कोने - कोने को उजियारे से सजा देते हैं। यह पर्व हिंदू मान्यताओं में बेहद महत्वपूर्ण है। दरअसल दीपावली का पर्व मूल रूप से भगवान श्री राम के अयोध्या लौटने के उत्सव के तौर पर, युगों से मनाया जा रहा है। मान्यता है कि, इस दिन भगवान श्री राम लंका विजय कर अयोध्या लौटे थे और अयोध्यावासियों ने उनका स्वागत दीप जलाकर किया था।

मगर इस पर्व को मनाए जाने के पीछे कुछ और भी कारण है। माना जाता है कि इस दिन राजा बलि अपनी प्रजा को दर्शन देने आते हैं। प्रजा राजा बलि के स्वागत में इस पर्व को मनाती है। दरअसल राजा बलि वे थे जिन्होंने वामन अवतार धरने वाले भगवान के पग को नापने के लिए अपना सिर ही उनके चरणों में समर्पित कर दिया था। जब भगवान के तीसरे पग को नापने के लिए, समस्त लोक कम पड़ गए तो राजा बलि ने भगवान से विनती की और भगवान ने उन्हें पाताल भेज दिया।

तभी से माना जाता है कि दीपावली के दिन राजा बलि अपनी प्रजा से मिलने पहुंचते हैं। राजा बलि ने संसार के कल्याण के लिए भगवान को दान दिया था और, प्रजा के कल्याण के लिए कार्य किए थे। एक अन्य मान्यता है कि, एक राजा को त्रिकालदर्शी सिद्ध साधु ने कहा कि, अमावस्या के दिन आपका काल सर्प के तौर पर आएगा। ऐसे में उस राजा ने अपने नगर में कोने - कोने में साफ - सफाई करवाने और सर्प को पकड़ने के आदेश दिए।

रानी को यह बात पता लगी तो, उन्होंने सर्प देव की आराधना की और एक दीप लेकर राजा के समीप बैठ गई मगर जब राजा का अंतिम समय आया तो जलता हुआ दीप बुझ गया और, वहां अंधेरा छा गया। राजा को सर्प ने डस लिया। यह देखकर रानी ने सर्प देव से आराधना की और सर्प रानी के पूजन से प्रसन्न हुए। वे यम लोग गए और राजा के जीवन के लिए यमराज से याचना की।

यमराज ने उन्हें राजा का जीवनकाल समाप्त होने की बात कही लेकिन, यमराज के लेखे में उन्होंने 0 के आगे 7 अंक डालकर यमराज से राजा के लिए 70 वर्ष का जीवन ले लिया। इसके बाद सर्प देव रानी के पास आए और राजा को जीवन दान दिया। राजा और रानी को सुखी जीवन का आशीर्वाद देकर वे लौट गए।

तभी से उस दिन प्रत्येक वर्ष में साफ - सफाई कर लोग दीप जलाने लगे और, ईश्वर आराधना करने लगे। एक अन्य मान्यता है कि, दिवाली के दिन माता लक्ष्मी सभी के घर भ्रमण करती हैं। ऐसे में माता का पूजन कर सभी उनका स्वागत करते हैं। इसलिए घर, आंगन और द्वार को रोशन किया जाता है।

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