तुलसी की माला में 108 ही दाने क्यों होते हैं, इसके पीछे कई धार्मिक, ज्योतषिक और वैज्ञानिक मान्यताएं हैं. एक मान्यता के अनुसार माला के 108 दाने और सूर्य की कलाओं का गहरा संबंध है. एक वर्ष में सूर्य 216000 कलाएं बदलता है और वर्ष में दो बार अपनी स्थिति भी बदलता है. छह माह उत्तरायण रहता है और छह माह दक्षिणायन. अत: सूर्य छह माह की एक स्थिति में 108000 बार कलाएं बदलता है.
इसी संख्या 108000 से अंतिम तीन शून्य हटाकर माला के 108 मोती निर्धारित किए गए हैं. माला का एक-एक दाना सूर्य की एक-एक कला का प्रतीक है. सूर्य ही व्यक्ति को तेजस्वी बनाता है, सूर्य ही एकमात्र साक्षात दिखने वाले देवता हैं, इसी वजह से सूर्य की कलाओं के आधार पर दानों की संख्या 108 निर्धारित की गई है.माला में 108 दाने रहते हैं.
एक पूर्ण रूप से स्वस्थ व्यक्ति दिनभर में जितनी बार सांस लेता है, उसी से माला के दानों की संख्या 108 का संबंध है. सामान्यत: 24 घंटे में एक व्यक्ति करीब 21600 बार सांस लेता है. दिन के 24 घंटों में से 12 घंटे दैनिक कार्यों में व्यतीत हो जाते हैं और शेष 12 घंटों में व्यक्ति सांस लेता है 10800 बार.इसी समय में देवी-देवताओं का ध्यान करना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार व्यक्ति को हर सांस पर यानी पूजन के लिए निर्धारित समय 12 घंटे में 10800 बार ईश्वर का ध्यान करना चाहिए