मृत्यु के उपरांत उसके शव को जलाने का विधान क्यों है
मृत्यु के उपरांत उसके शव को जलाने का विधान क्यों है
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हिन्दू धर्म अग्नि से जुड़ा है। अग्नि उनके लिए मात्र एक तत्व नहीं है जो प्रकृति ने उन्हें प्रदान किया है, बल्कि अग्नि उनके लिए पूजनीय है। हिन्दू धर्म में केवल अंतिम संस्कार ही नहीं, वरन् अन्य कई रिवाज़ ऐसे हैं जो अग्नि से जुड़े हैं। यज्ञ, हवन, विवाह के सात फेरे आदि ऐसे संस्कार हैं, जिनमें अग्नि का बेहद महत्व है। इन मान्यताओं में अग्नि को केवल एक माध्यम नहीं बल्कि ईश्वर के रूप से देखा जात है। वे अग्नि देव कहलाते हैं। हिन्दू धर्म में शव को जलाते समय अग्नि देव से प्रार्थना की जाती है ताकि अग्नि देव शरीर के पांच अहम तत्वों को अपने में ग्रहण कर लें और उन्हें एक नया जीवन प्रदान करें।

सनातान धर्म में किसी की मृत्यु के उपरांत उसके शव को जलाने का विधान है। शरीर में प्राण निकलने के बाद बहुत जल्द ही मानव शरीर सड़ने लगता है। ऐसे में शरीर में दुर्गंध आना भी शुरू हो जाती है, जो कि जीवित मनुष्य के लिए स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत अधिक हानिकारक है। इसी वजह से मृत शरीर को जल्द से जल्द जलाने की प्रथा लागू की गई है। परंतु शव को जलाया ही क्यों जाता है? इस संबंध में धर्मशास्त्र के अनुसार कीटाणु, दुर्गंध आदि शत प्रतिशत नष्ट हो जाते हैं। साथ ही जलाने से ऐसा भी माना जाता है कि पंचभूतों (अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश) से बना शरीर उसी में विलीन हो जाता है।

हिन्दू धर्म में शव को जलाने की प्रक्रिया को अंतिम संस्कार कहा जाता है। हिन्दू धर्म के साथ सिख एवं जैन धर्म में भी अंतिम संस्कार की ही प्रथा निभाई जाती है। हिन्दू एवं सिख धर्म दोनों में ही मृत्यु के 24 घंटों के भीतर ही शव को जलाने की कोशिश की जाती है।

ऐसी मान्यता है कि शव को सूरज ढलने से पहले ही जला देना चाहिए। सभी प्रकार की पूजा एवं संस्कार करने के बाद सांध्य के 6 बजे से पहले ही शव को जलाने की कोशिश की जाती है क्योंकि रात्रि का समय बुरी आत्माओं के प्रभावी होने का होता है।

हिन्दू धर्म में शव का अंतिम संस्कार कई मान्यताओं पर आधारित है। पहली मान्यता हमें रिश्ते की समझ कराती है। अंतिम संकार का यह रिवाज़ हमें चंद समय में ही उस शव से अलग कर देता है। क्योंकि अंत में हमें केवल राख मिलती है जिसे हम विधि अनुसार नदी में बहा देते हैं।

अन्य धर्मों में जहां लोग जानते हैं कि उनके संबंधी का शव किसी विशेष स्थान पर दफन है तो ऐसे में उनका उस स्थान से मोह बना रहता है। इसके अलावा हिन्दू धर्म में शव को प्राकृतिक जंतुओं द्वारा ग्रहण किया जाना भी बुरा माना जाता है।

दूसरा कारण शव को दफनाने के लिए एक बड़े स्थान की आवश्यकता होती है परन्तु यदि इसके स्थान पर शव को जलाया जाए तो वह स्थान केवक एक शव के लिए नहीं बल्कि कई बार इस्तेमाल किया जा सकता है।

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