सुप्रीम कोर्ट की जांच में सहयोग क्यों नहीं कर रहे Pegasus से जासूसी का आरोप लगाने वाले ?
सुप्रीम कोर्ट की जांच में सहयोग क्यों नहीं कर रहे Pegasus से जासूसी का आरोप लगाने वाले ?
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नई दिल्ली: ‘Pegasus’ स्पाईवेयर का नाम ले-ले कर केंद्र सरकार पर हमला करने वाले अब इसी मामले पर सर्वोच्च न्यायालय की जाँच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। दरअसल, Pegasus के उपयोग के आरोपों की जाँच करने के लिए शीर्ष अदालत ने एक कमिटी बनाई थी, मगर अब तक इस कमिटी के पास केवल 2 मोबाइल फोन ही जमा किए गए हैं, जबकि कई नेताओं और पत्रकारों ने खुद की जासूसी किए जाने को लेकर सोशल मीडिया के जरिए आरोप लगाए थे। अब शीर्ष अदालत ने गुरुवार (3 फरवरी, 2022) को इसकी समयसीमा 8 फरवरी तक के लिए आगे बढ़ा दी है।

जिन लोगों को यह आशंका है कि उनके मोबाइल फोन को Pegasus के माध्यम से निशाना बनाया गया है, उन्हें जाँच समिति के सामने पेश होने और अपना मोबाइल फोन जमा करने को कहा गया है। मगर, जाँच में सहयोग को आरोप लगाने वाले नेता-पत्रकार तैयार ही नहीं हैं। जाँच समिति इन उपकरणों के डिजिटल इमेज लेकर उसकी तफ्तीश करेगी। इससे पहले इसी वर्ष 2 जनवरी को नोटिस जारी करते हुए ऐसे लोगों को आगे आने को कहा गया था। तकनीकी समिति के समक्ष पेश हो कर इन लोगों को बताना था कि उन्हें ऐसा क्यों लगता है कि उनके फोन की जासूसी की गई है। इसके साथ ही उनसे ये भी पूछा जाना था कि क्या वो अपने डिवाइस की जाँच शीर्ष अदालत की कमिटी को करने देंगे? 

तीन सदस्यीय कमिटी ने कहा था कि आवश्यकता पड़ने पर डिवाइस को जमा करने का निवेदन भी किया जाएगा। अब नए नोटिस में कहा गया है कि डिवाइस का ‘डिजिटल इमेज’ लिया जाएगा। जिस शख्स का वो मोबाइल फोन होगा, उसके सामने ही ये पूरी प्रक्रिया संपन्न की जाएगी। साथ ही फ़ौरन ही उस मोबाइल फोन को उसे वापस भी दे दिया जाएगा। इसके बाद उस ‘डिजिटल इमेज कॉपी’ की जाँच की जाएगी। 30 नवंबर, 2021 को भी कमिटी ने तकनीकी जाँच के लिए मोबाइल फोन्स दिखाने के लिए कहा था। इस समिति नवीन कुमार चौधरी भी सदस्य हैं, जो गुजरात के गाँधीनगर स्थित ‘नेशनल फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी’ के डीन हैं। उनके अलावा केरल स्थित ‘स्मृता विश्व विद्यापीठ’ के प्रोफेसर डॉक्टर प्रभाकरन पी और IIT बॉम्बे के ‘इंस्टिट्यूट चेयर एसोसिएट प्रोफेसर’ डॉक्टर आश्विन अनिल गुमाश्ते भी इसके मेंबर हैं।

कांग्रेस और उसके समर्थकों ने तो यहाँ तक दावा किया था कि केवल नेता, पत्रकार और समाजसेवी ही नहीं, बल्कि कई केंद्रीय मंत्रियों के मोबाइल फोन्स की भी ‘पेगासस’ के माध्यम से जासूसी की जा रही है। 27 अक्टूबर को मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमना के नेतृत्व वाली तीन जजों की पीठ ने न्यायमूर्ति रवीन्द्रन की निगरानी में इस कमिटी के गठन का एलान किया था। कमिटी को काम सौंपा गया कि वो मोबाइल फोन्स की छानबीन कर के बताए कि क्या उनमें चैट्स को पढ़ने, सूचनाएँ एकत्रित करने और डेटा लेने के लिए ‘पेगासस’ का उपयोग किया गया था।

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