दिवाली के 10 दिन बाद ही क्यों मनाई जाती है एकादशी
दिवाली के 10 दिन बाद ही क्यों मनाई जाती है एकादशी
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दीपावली त्यौहार के ठीक 10 दिन बाद ग्यारस का त्यौहार आता है जिसे देवउठनी ग्यारस और एकादशी नाम से भी जानते है, हिन्दू धर्म के मुताबिक एकादशी का त्यौहार बड़े धूम धाम से मनाया जाता है इस साल यह एकादशी 31 अक्टूबर मंगलवार को पड़ रही है. माना जाता है कि देवउठनी ग्यारस के दिन भगवान विष्णु नींद से जागते है. पुराणों के मुताबिक बताया गया है कि चार महीने सोने के बाद भगवान विष्णु देवउठनी पर जागते है. हिन्दू धर्म में इस एकदशी को बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है बताया गया है कि जो लोग इस दिन, व्रत रखते है उन लोगो कि पीढ़ी विष्णु लोक में निवास करती है तथा मृत्यु के बाद उनकी पीढ़ीयों को उच्च स्थान प्राप्त होता है.

शंखासुर नामक एक राक्षस हुआ करता था उसने तीनो लोको में इतना आतंक मचाया हुआ था कि देवतागण उस राक्षस के भय से भगवान विष्णु के पास गए और राक्षस से मुक्ति पाने के लिए प्रार्थना कि तब जाकर भगवान विष्णु ने शंखासुर से युद्ध किया युद्ध बड़े लम्बे समय तक चला, तब शंखासुर का विनाश करने के बाद भगवान विष्णु काफी थक गए थे तभी उन्होंने क्षीर सागर में लम्बे समय तक शयन किये, चार माह शयन करने के बाद भगवान विष्णु कार्तिक शुक्ल कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु निंद्रा से जागे, तभी से देवताओं ने इस अवसर पर भगवान विष्णु कि पूजा कि- और इसी कारण से एकादशी पर्व मनाया जाता है.

इन दिनों गन्नो का भी बहुत प्रचलन है इस दिन महिला हो या पुरुष इन्हें व्रत रखना चाहिए है और विधिवत रूप से गन्ने का मंडप बनाकर भगवान विष्णु कि पूजा करना चाहिए, और पूजा में तुलसी के पत्ते प्रयोग में लाना चाहिए. ध्यान रहे जो लोग व्रत रखते है उन्हें तुलसी के पत्ते अपने हाथ से नहीं तोड़ना चाहिए.

 

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