थोक महंगाई दर : कुछ सस्ता तो कुछ महंगा रहा बाजार
थोक महंगाई दर : कुछ सस्ता तो कुछ महंगा रहा बाजार
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नई दिल्ली : थोक महंगाई दर जुलाई में नकारात्मक 4.05 फीसदी दर्ज की गई, जो जून में नकारात्मक 2.4 फीसदी थी। ईंधन महंगाई में 12.8 फीसदी गिरावट ने इस गिरावट में प्रमुख भूमिका निभाई। यह जानकारी शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़े से मिली। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित थोक महंगाई दर जुलाई 2015 में लगातार नौवें महीने नकारात्मक दायरे में रही। थोक महंगाई दर जुलाई 2014 में 5.41 फीसदी थी। यह दर गत वर्ष अक्टूबर से नकारात्मक दायरे में है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक, इस दौरान प्राथमिक वस्तुओं की महंगाई नकारात्मक 3.66 फीसदी, ईंधन महंगाई नकारात्मक 12.81 फीसदी और विनिर्मित वस्तुओं की महंगाई नकारात्मक 1.47 फीसदी रही। खाद्य महंगाई दर नकारात्मक 1.16 फीसदी रही, जो जून में 2.88 फीसदी थी और एक साल पहले समान अवधि में 8.47 फीसदी थी।

इस दौरान आलू, सब्जी, फल, चावल, अनाज और प्याज जैसी प्रमुख खाद्य वस्तु सस्ती हुई। इस दौरान आलू 49.27 फीसदी सस्ता हुआ। सब्जियां 24.52 फीसदी, फल 4.48 फीसदी, चावल 2.86 फीसदी, अनाज 1.57 फीसदी और प्याज 0.49 फीसदी सस्ता हुए। अंडे, मछली, मांस, दूध आधारित उत्पाद और दाल हालांकि इस बीच महंगा हुए। जुलाई में दलहन 35.75 फीसदी महंगा हुआ। दूध और दूध आधारित उत्पाद 5.30 फीसदी, अंडा, मछली और मांस 2.52 फीसदी महंगा हुए। पेट्रोल इस दौरान 13.33 फीसदी सस्ता हुआ। डीजल 16.75 फीसदी और रसोई गैस 5.02 फीसदी सस्ता हुआ। उल्लेखनीय है कि उपभोक्ता महंगाई दर भी जुलाई में घटकर 3.78 फीसदी रही है।

थोक और उपभोक्ता महंगाई दर में गिरावट से निवेशकों में उम्मीद जगी है कि भारतीय रिजर्व बैंक नीति दर में कटौती कर सकता है। जायफिन एडवाइजर्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी देवेंद्र नेवगी ने आईएएनएस से कहा, "थोक और उपभोक्ता महंगाई के आंकड़े उम्मीद से बेहतर हैं और बाजार की आरबीआई से दरों में कटौती करने उम्मीद बढ़ी है।" आरबीआई ने जनवरी 2016 तक उपभोक्ता महंगाई दर को छह फीसदी के दायरे में रखने का लक्ष्य तय किया है। इन आंकड़ों का शेयर बाजारों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा और बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 518 अंकों की तेजी के साथ बंद हुआ।

भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, "इस गिरावट से आरबीआई के लिए अगली मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले ही दर घटाने का पक्ष प्रबल हुआ है। खासतौर से इसलिए भी कि औद्योगिक गतिविधियों में सुस्ती छाई हुई है।" फेडरेशन ऑफ चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की अध्यक्ष ज्योत्स्ना सूरी ने कहा, "इस समय घरेलू मांग को स्थायी तौर पर बढ़ाने की जरूरत है, जिससे क्षमता उपयोग बढ़ेगा और आखिरकार निवेश में तेजी आएगी।" एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा, "एसोचैम को विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में लगातार हो रही गिरावट से भी चिंता हो रही है, क्योंकि इससे उद्योग की मूल्य निर्धारण करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है, जिससे कंपनियों का लाभ भी घट सकता है।"

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