नई दिल्ली: निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले के चार दोषियों पवन, विनय, मुकेश और अक्षय को आखिरकार 20 मार्च को तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई. निर्भया को न्याय तो मिल गया, किन्तु दोषियों के वकील एपी सिंह उनकी जिंदगी बचाने के लिए फांसी से चंद घंटे पहले तक लड़ते रहे और आधी रात को भी अदालत का दरवाजा खटखटाया. ऐसे में हर कोई यह जानना चाहेगा कि आखिरकार एपी सिंह हैं कौन जो दोषियों के लिए 7 साल तक जीवन रक्षक बन रहे और उन्हें फांसी के फंदे तक पहुंचने से रोकने में सभी कानूनी दांव-पेच लगा दिए.
निर्भया के गुनहगारों के खिलाफ तीन बार जारी किए गए डेथ वॉरंट के बाद भी एपी सिंह कानूनी दांव पेच और उसकी कमियों को हथियार बनाकर तीन बार फांसी को टालने के बाद चर्चाओं में आ गए थे. एपी सिंह यानी अजय प्रकाश सिंह मूलरूप से उत्तर प्रदेश के निवासी हैं और राजधानी दिल्ली में वकालत करते हैं. वो निर्भया के गुनहगारों का मुकदमा बीते सात साल से लड़ रहे थे. उनका पूरा परिवार भी दिल्ली में ही रहता है.
एपी सिंह वर्ष 2013 में उस समय सुर्खियों में आए थे जब दिल्ली में किसी भी वकील ने निर्भया के गुनहगारों का मुकदमा लड़ने से इनकार कर दिया था. इसके बाद एपी सिंह सामने आए और उन्होंने दोषियों के पक्ष में अदालत में मुकदमा लड़ने का फैसला लिया. उन्हें इस केस में निचली अदालत से लेकर शीर्ष अदालत में कई बार फटकार और फाइन का भी सामना करना पड़ा. एपी सिंह ने लखनऊ यूनिवर्सिटी से वकालत की पढ़ाई की है. उन्होंने लॉ में डॉक्टरेट की डिग्री भी इसी विश्विद्यालय से ली है. एपी सिंह ने वर्ष 1997 में शीर्ष अदालत में वकालत की शुरुआत की थी और अब वो वरिष्ठ वकीलों में गिने जाते हैं.
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