जिसकी मौत से छिड़ गई काले-गोरे की बहस, जानिए कौन था जॉर्ज फ्लॉयड
जिसकी मौत से छिड़ गई काले-गोरे की बहस, जानिए कौन था जॉर्ज फ्लॉयड
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इस समय एक तरफ पूरी दुनिया में कोरोना वायरस को लेकर हाहाकार मचा हुआ है वहीं दूसरी तरफ अमेरिका में हिंसा बढ़ चुकी है. जी दरअसल अमेरिका कोरोना से लड़ने के साथ-साथ ही हिंसक प्रदर्शनों के दौर से जूझ रहा है. आप जानते ही होंगे वहां एक अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद धरने-प्रदर्शन हो रहे हैं, कई लोग न्याय की मांग कर रहे हैं फिर वह आम हो या ख़ास. इस समय वहां हो रहा प्रदर्शन अब और भी अधिक हिंसक हो गया है, इस समय हालात कुछ ऐसे हैं कि राजधानी वॉशिंगटन समेत कई शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया है. क्या है मामला - 25 मई को अमेरिकी पुलिस ने अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड को कैब से उतारकर जमीन पर लिटाकर घुटनों से उसकी गर्दन को दबाया, जिससे उसकी मौत हो गई. वहीं उसी के बाद से घटना का एक वीडियो सामने आया जो देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. वीडियो के वायरल होने के बाद से पूरे अमेरिका के लोग, स्टार्स और भी कई लोग हैरान है और तभी से धरने-प्रदर्शन चल रहे हैं. अब हम आपको बताते हैं कौन था जॉर्ज फ्लॉयड जिसकी मौत के बाद दुनिया का सुपरपॉवर अमेरिका जल उठा.

बीबीसी की एक रिपोर्ट को माना जाए तो, 46 साल के अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड अफ्रीकी अमेरिकी समुदाय के थे, और उत्तरी कैरोलीना में पैदा हुआ जॉर्ज फ्लॉयड ह्यूस्टन में रहता था, लेकिन काम के सिलसिले में वह मिनियापोलिस आ गया. वहीं जॉर्ज मिनियापोलिस के एक रेस्टोरेंट में सिक्योरिटी गार्ड का काम करता था और उसी रेस्टोरेंट के मालिक के घर पर किराया देकर पांच साल से रहता था. आपको यह भी बता दें कि जॉर्ज की एक छह साल की बेटी है जो अपनी मां के साथ ह्यूस्टन में रहती है. वहीं जॉर्ज को 'बिग फ्लॉयड' के नाम से जाना जाता था और जॉर्ज को मिनियापोलिस शहर काफी पसंद था, वह ह्यूस्टन छोड़कर मिनियापोलिस में नए अवसरों के लिए आया हुआ था. जी दरअसल जॉर्ज फ्लॉयड को 25 मई को मिनियापोलिस में एक दुकान के बाहर पुलिस ने हिरासत में लिया था और हिरासत में लेने के कुछ समय बाद उसकी मौत हो गई. वहीं हिरासत के दिन जारी हुए वीडियो में उसे एक श्वेत पुलिस अधिकारी डेरेक शोविन ने गिरफ्तार किया था और जॉर्ज के गले को घुटने से दबाने वाले पुलिस अधिकारी पर थर्ड डिग्री मर्डर का आरोप लगाया गया है. पुलिस का कहना है, जॉर्ज पर आरोप लगाया गया था कि ''उन्होंने 20 डॉलर (करीब 1500 रुपये) के फर्जी नोट के जरिए एक दुकान से खरीदारी की कोशिश की.''

इस मामले में पुलिस का कहना था कि ''जॉर्ज ने गिरफ्तारी का शारीरिक रूप से विरोध किया, इसके बाद बल प्रयोग किया गया.'' वहीं अब जॉर्ज की मौत के बाद उनके लिए न्याय की मांग करते लोग सड़कों पर उतर आए, हर कोई उनके लिए न्याय मांग रहा है. वहीं अब जॉर्ज की मौत ने अमेरिका में एक बार फिर से काले और गोरे की बहस छेड़ दी है. हर तरह इस बात को लेकर विवाद हो रहा है. आप सभी को हम यह भी बता दें कि अमेरिका में लंबे वक्त से अश्वेत लोग प्रताड़ना और पूर्वाग्रह के शिकार होते रहे हैं और इस घटना के बाद से काले और गोरे की बहस ने जोर पकड़ लिया है.

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