हिन्दू धर्म में संतान से जुड़ी कई महत्वपूर्ण तिथियाँ और व्रत हैं। यदि आप संतान प्राप्ति की कामना करते हैं, तो संतान सप्तमी का व्रत विशेष महत्व रखता है। इसके साथ ही संतान की दीर्घायु की कामना के लिए हलषष्ठी का व्रत किया जाता है। इस साल संतान सप्तमी का व्रत 10 सितंबर मंगलवार को मनाया जाएगा। हालांकि सप्तमी तिथि 9 सितंबर को शाम को शुरू हो जाएगी, परन्तु उदया तिथि के अनुसार व्रत 10 सितंबर को ही रखा जाएगा, क्योंकि इस दिन सूर्योदय के समय भी सप्तमी तिथि रहेगी।
संतान सप्तमी का मुहूर्त:
दिन: मंगलवार
सप्तमी तिथि प्रारंभ: 9 सितंबर शाम 5 बजे से
सप्तमी तिथि समाप्ति: 10 सितंबर शाम 5:47 बजे तक
संतान सप्तमी की पूजा विधि:
स्नान और संकल्प: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें। फिर व्रत का संकल्प लें।
पूजन सामग्री तैयार करें: गुड़ और आटे से सात-सात पुए और खीर तैयार करें। शिव और विष्णु की पूजा करें। शुद्धता बनाए रखते हुए पूजन सामग्री तैयार करें।
पूजन स्थल की तैयारी: गंगाजल से पूजन स्थल को शुद्ध करें। लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और शिव परिवार की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। कलश में जल, सुपारी, अक्षत, सिक्का डालकर आम के पल्लव से ढकें। एक प्लेट में चावल रखकर दीपक जलाएं।
अर्चना: गुड़ और आटे के 7-7 पुए केले के पत्ते में बांधकर पूजा स्थल पर रखें। फल-फूल और धूप दीप से पूजा करें।
चांदी के कड़े की शुद्धि: पुराने चांदी के कड़े को गाय के दूध में धोकर शुद्ध किया जा सकता है। इसे शुद्ध करके दाहिने हाथ में पहनें और भगवान का आशीर्वाद लें।
व्रत कथा और प्रसाद: दोपहर 12 बजे के बाद पूजा करें और व्रत कथा सुनें। सात पुए भगवान को अर्पित करें और सात पुए ब्राह्मण को दें। बचा हुआ प्रसाद स्वयं ग्रहण करें और व्रत समाप्त करें।
इस विधि से संतान सप्तमी का व्रत करने से आप संतान प्राप्ति और उनकी दीर्घायु की कामना को पूरा कर सकते हैं।
अगर किसी कारण छूट या टूट जाए हरतालिका व्रत तो क्या करें? यहाँ जानिए
कब करना चाहिए हरतालिका तीज व्रत का उद्यापन? यहाँ जानिए
'इस्लाम कबूल कर मुझसे निकाह करो वरना..', कर्नाटक में दानिश खान गिरफ्तार