जब किसान का वेश बनाकर पुलिस थाने पहुँच गए थे चौधरी चरण सिंह
जब किसान का वेश बनाकर पुलिस थाने पहुँच गए थे चौधरी चरण सिंह
Share:

यह बात आज से तक़रीबन 42 वर्ष पहले की बात है। सन 1979 में यूपी के इटावा जिले के ऊसराहार थाने में शाम को एक परेशान सा दिख रहा किसान दाखिल हुए। उसने संकोच में इधर-उधर देखा और हेड कॉन्‍स्‍टेबल के पास जाकर पहुंच गया। अपनी कुर्सी पर उंघते हुए हेड कॉन्‍स्‍टेबल ने उसे देखा, तो सामने एक दुबला पतला सा किसान खड़ा था... मैला कुर्ता, पछांह स्‍टाइल में बंधी धोती और नंगे पैर। मन ही मन खीझते हुए कॉन्‍स्‍टेबल बोला- हां, क्‍या काम है?  

इस पर किसान ने बताया कि वह मेरठ से अपने रिश्‍तेदार के घर बैल खरीदने के लिए आया था। किन्तु राह में किसी जेबकतरे ने उसकी जेब काटकर पैसे चुरा लिए। लिहाजा उसे शिकायत लिखानी थी। हेड कॉन्‍स्‍टेबल ने आंखें तिरछी करके पूछा, 'मेरठ से इतनी दूर बैल खरीदने क्‍यों आया भाई? क्‍या सबूत है कि किसी ने तेरी जेब काटी है, हो सकता है तेरे पैसे कहीं गिर गए हों, या फिर उन पैसों की दारु पी ली हो तूने और अब घरवाली के डर के मारे चोरी का नाटक कर रहा हो।' कुल मिलाकर पुलिसवाले ने कह दिया कि, 'शिकायत नहीं ल‍िखी जाएगी।'

किसान मायूस होकर एक कोने में खड़ा हो गया और कुछ सोचने लगा कि एक सिपाही ने उसे अपने पास बुलाया। दोनों में कुछ बातचीत हुई और तय हुआ कि यदि किसान कुछ 'खर्चे-पानी' का बंदोबस्त कर दे तो उसकी रपट ल‍िखवा दी जाएगी। किसान ने हामी भर दी और मुंशी ने शिकायत लिखनी शुरू की। पूरा मामला लिखने के बाद मुंशी ने कहा कि, 'बाबा, हस्ताक्षर करोगे या अंगूठा टेकोगे?' किसान बोला, 'पढ़ा-लिखा नहीं हूं, इसलिए अंगूठा ही टेकूंगा?' मुंशी ने कागज किसान की ओर सरकाया और स्‍याही वाला पैड भी बढ़ा दिया।

निराश-परेशान दिख रहे किसान ने जेब में हाथ डालकर एक मुहर और कलम निकाली। मुंशी जब तक कुछ समझ पाता किसान ने स्‍याही के पैड से मुहर पर स्‍याही लगाई और कागज पर ठोंक दी। मुंशी ने कागज घुमाकर पढ़ा, मुहर लगी थी.... प्रधानमंत्री भारत सरकार...। मुंशी हक्का-बक्का ही था कि किसान ने हाथ में थामे पैन से लिख दिया... चरण सिंह। अब तो थाने में भूचाल आ गया। पूरा थाना हैरान रह गया कि देश के पीएम चौधरी चरण सिंह उनके थाने में किसान बनकर रिपोर्ट लिखाने पहुंचे थे। बहरहाल जो कुछ हुआ था उसे आधार बनाकर पूरा का पूरा थाना निलंबित कर दिया गया। तत्कालीन नेता बताते हैं कि चौधरी चरण सिंह कभी भी भेष बदलकर थानों का और सरकारी दफ्तरों का औचक निरिक्षण करने पहुंच जाया करते थे। 

आखिर 23 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है किसान दिवस, कब हुई थी इसकी शुरुआत ?

कृषि कानून वापस, आंदोलन ख़त्म.. फिर पंजाब में क्यों रेलवे ट्रैक पर धरना दे रहे किसान ?

आंध्र प्रदेश में ओमिक्रॉन के दूसरे मामले की पुष्टि

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
Most Popular
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -