संकट चतुर्थी तिथि पर चन्द्रदर्शन करने का आखिर क्या कारण है
संकट चतुर्थी तिथि पर चन्द्रदर्शन करने का आखिर क्या कारण है
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धर्म परंपराओं में संकट चतुर्थी तिथि पर चन्द्रदर्शन कर सभी अपने संकट को दूर करने कि मंगल कामना करते है आखिर इसी दिन ऐसा क्यों किया जाता है इस सवाल का जबाब कई हिन्दू धार्मिक पौराणिक कथाओ में मिलता है और इन्ही कथाओ के अनुसार हम आपको बता रहे है कि इस दिन ऐसा क्यों किया जाता है

पुराणों के अनुसार इसके दो प्रसंग सामने आते है जिनमे से पहला प्रसंग कुछ इस प्रकार है कि जब माता पार्वती ने गणेश को जन्म दिया तब इंद्र,चन्द्र सहित कई देवता इनके दर्शन के लिए आए इन्ही देवताओं में शनि भी उपस्थित हुए उस समय शनि को यह श्राप था कि जिस पर भी इनकी नजर पड़ेगी उस पर काल मंडराने लगेगा जब उन्होंने गणेश को देखा तो दृष्टिपात होते ही श्रीगणेश का मस्तक अलग होकर चन्द्रमण्डल में चला गया।

दूसरा प्रसंग इस प्रकार है कि स्नान करते समय माता पार्वती ने गणेश को पहरा देने का आदेश दिया इसी दौरान वहां आए भगवान शंकर को जब श्रीगणेश ने अंदर जाने से रोका, तो अनजाने में भगवान शंकर ने श्रीगणेश का मस्तक काट दिया, जो चन्द्र लोक में चला गया। बाद में भगवान शंकर ने रुष्ट पार्वती को मनाने के लिए कटे मस्तक के स्थान पर गजमुख या हाथी का मस्तक जोड़ा।

इन कथाओ के अनुसार भगवान् गणेश का सिर चन्द्रमंडल में चला गया तब से लेकर आज तक संकट चतुर्थी तिथि पर चन्द्रदर्शन व अर्घ्य देकर श्रीगणेश की उपासना व भक्ति द्वारा संकटनाश व मंगल कामना की जाती है। 

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