आखिर क्या है नक्सलवाद ? जानिए 'लाल आतंक' का पूरा इतिहास
आखिर क्या है नक्सलवाद ? जानिए 'लाल आतंक' का पूरा इतिहास
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छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलियों की गोलियों से शहीद हुए देश के 22 वीर सपूतों की शहादत ने पूरे हिंदुस्तान को झकझोर कर रख दिया है। हर किसी के जेहन में बस एक ही सवाल है कि, एक ओर तो हमारे जवान सरहद पार से आ रहे आतंकियों का मुकाबला कर रहे हैं, वहीं दूसरे ओर  घर में बैठे वामपंथी विचारधारा वाले और हाथों में लाल झंडा उठाए इन नक्सलियों से भी लोहा ले रहे हैं। सीमा पार से आ रहे आतंकियों से तो सेना बॉर्डर पर ही जंग लड़ती रहती है और उन्हें आगे नहीं बढ़ने देती, लेकिन भारत भर में फैले उन नक्सलियों का क्या किया जाए, जो आए दिन घात लगाए देश के जवानों को निशाना बनाने के लिए कहीं, ग्रेनेड फेंकते हैं तो कहीं IED धमाका करते हैं। बता दें कि यह नक्सलवाद, पश्चिम बंगाल के एक छोटे से इलाके नक्सलबाड़ी से निकला है, जिसने आज देश के 11 राज्यों में पाँव पसार लिए हैं और वहां की कानून-व्यवस्था को आए दिन कमज़ोर करने की कोशिश करते रहते हैं।   

बता दें कि नक्सलवाद साम्यवादी क्रान्तिकारियों के उस आन्दोलन का अनौपचारिक नाम है जो भारतीय कम्युनिस्ट आन्दोलन के फलस्वरूप उत्पन्न हुआ। नक्सलबाड़ी में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के नेता चारू मजूमदार और कानू सान्याल ने सत्ता के विरोध सशत्र विद्रोह का ऐलान कर दिया था। जिस संयुक्त मोर्चा की सरकार का ये लोग विरोध कर रहे थे, उसमे कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सिस्ट (CPM) भी सहयोगी थी। ये CPIM अपने मार्क्सवादी विचारों के चलते CPI से अलग हो गई थी, जो कि चीन के कम्युनिस्ट नेता माओ त्से तंग के विचारों को मानने वाला दल था। हालांकि, दोनों दल शुरू से सत्ताधारियों के विरोधी रहे और वामपंथी भी, किन्तु इनके विरोध का तरीका अलग होता था। लेकिन,  यहीं से जो वामपंथियों में बिखराव का बीज पड़ा उसके बाद इनके अलग-अलग कई छोटे-छोटे दल बन गए, जो छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, झारखंड आदि राज्यों में पनपने लगे। यहां से इन लोगों ने जंगलों में रहने वाले आदिवासियों को बहकाकर जल-जंगल और जमीन के नाम पर लड़ाई बताकर सरकार और कानून के खिलाफ खड़ा कर दिया। एक दूसरा कारण यह भी बताया जाता है कि, सरकार की दमनकारी नीतियों से तंग आकर इन आदिवासियों ने हथियार उठा लिए और बगावत शुरू कर नक्सली बन गए। तब से लेकर आज तक ये नक्सली हमेशा सरकार को कानून को अस्थिर करने की कोशिश में लगे रहते हैं। यहां देखिए नक्सलियों द्वारा किए गए 3 बड़े हमले :-

ताड़मेटला का नक्सली हमला:-


आज से लगभग 11 साल पहले छत्तीसगढ़ के ही सुकमा जिले के अंतर्गत आने वाले एक इलाके ताड़मेटला में नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर हमला कर दिया था। ये जवान इलाके में सैनिटाइजेशन के लिए निकले थे, जहाँ से लौटते वक़्त, रास्ते में पहले से घात लगाए नक्सलियों ने उनपर हमला बोल दिया। इस हमले में 76 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे। बताया जाता है कि करीब 1000 नक्सलियों ने जवानों को घेरा था।  इस हमले को भारत के इतिहास में नक्सलियों का सबसे बड़ा हमला भी माना जाता है। 

सेल्दा का नक्सली हमला:-


15 फरवरी 2010 को पश्चिम बंगाल के सेल्दा में लगभग 100 नक्सलियों ने इस्टर्न फ्रंटियर राइफल्स (ईएफआर) के शिविर पर हमला करके 24 जवानों को मार डाला था और यहां तक की उनके हथियार भी लूट लिए थे।

कांग्रेस की यात्रा पर नक्सलियों का हमला:-


छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में ही एक बार नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला कर दिया था। हमला करने वाले नक्सलियों की संख्या लगभग 1000 आंकी गई थी।  इस हादसे में कांग्रेस नेता विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा और नंदकुमार पटेल सहित 25 लोगों की मौत हुई थी , साथ ही कई अन्य घायल हो गए थे।


बता दें कि पहले एक दौर था जब नक्सली, आदर्शवादी और सैद्धांतिक आंदोलन करते थे, यह शुरूआती चरण था। लेकिन आज के दौर में कई विचारक नक्सलवाद को आतंकवाद का ही एक रूप मानते हैं और उनका मानना है कि देश के कुछ नेता राष्ट्र को अस्थिर करने के लिए ऐसे नक्सलियों की सहायता करते हैं और उनके लिए युवाओं की भर्ती भी करते हैं। यही वजह है कि पिछले कुछ दिनों में 'अर्बन नक्सल' शब्द काफी तेजी से फैला है। जिसके चलते कई बड़े नेताओं पर नक्सलवाद का समर्थन करने या उनकी गतिविधियों से सहानुभूति रखने जैसे आरोप लगते रहे हैं और इन्हे ही अर्बन नक्सल कहा जाता है। आज नक्सलवाद देश की बहुत बड़ी आंतरिक समस्या बन चुका है, ये 'लाल आतंक' वाले आए दिन राष्ट्रसेवा में लगे जवानों को निशाना बनाते हैं, जिसका निराकरण अत्यंत आवश्यक है अन्यथा बाहरी शक्तियां इनका इस्तेमाल करके देश को दीमक की तरह खा जाएंगी। 

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