फागुन में ऐसा क्या है ? जो बाकि ऋतुओं से अलग है : जानिए
फागुन में ऐसा क्या है ? जो बाकि ऋतुओं से अलग है : जानिए
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फाल्गुन का महीना हिन्दू पंचांग का अंतिम महीना होता है इस महीने की पूर्णिमा को फाल्गुनी नक्षत्र होने के कारण इस महीने का नाम फाल्गुन है। इस महीने को आनंद और उल्लास का महीना कहा जाता है। इस महीने से धीरे धीरे गरमी की शुरुआत होती है , और सर्दी कम होने लगती है। फागुन माह के आने से प्रकृति में चारों तरफ़ हरियाली ही हरियाली होती है। 

नंदगांव, बरसाना, मथुरा, वृंदावन में रंगों की होली के साथ-साथ लट्ठमार होली भी खेली जाती है। इस होली को देखने को लिए देश विदेश से लाखों लोग में ब्रज में आते हैं और लठमार होली का आनंद लेते हैं। फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को राधारानी की नगरी बरसाने में लट्ठमार होली खेली जाती है। 

हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की शुरुआत सोमवार, 06 फरवरी 2023 से हो चुकी है। ये साल का आखिरी महीना होता है। ये माह मंगलवार, 07 मार्च तक रहने वाला है। फाल्गुन के महीने को ऊर्जा और यौवन का महीना माना जाता है। कहा जाता है कि इस महीने में वातावरण खुशनुमा हो जाता है और हर जगह नई उमंग छा जाती है। धार्मिक दृष्टिकोण से भी फाल्गुन का महीना बहुत ही शुभ माना जाता है। फाल्गुन शिव जी, श्री कृष्ण और चंद्र देव की पूजा-उपासना का महीना होता है। इस महीने होली, महाशिवरात्रि आदि प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। खासतौर पर मथुरा-वृंदावन में तो पूरे फाल्गुन महीने में होली का अलग ही उत्सव देखने को मिलता है। वहीं धार्मिक शास्त्रों में फाल्गुन महीने को लेकर कुछ नियम बताए गए हैं, जिनका जरूर पालन करना चाहिए।

आइए जानते हैं कौन से वे नियम हैं...

इस महीने में शीतल या सामान्य जल से स्नान करें।
फाल्गुन माह में अनाज की बजाय फलाहार ज्यादा करना चाहिए। 
इस महीने में कम अनाज का सेवन करना चाहिए।
इस माह में भगवान शिव और भगवान श्री कृष्ण की नियमित उपासना करें।
साथ ही पूजा में फूलों का अधिक से अधिक प्रयोग करें।
पूरे फाल्गुन माह में मांस-मछली या नशीली चीजों का सेवन बिल्कुल न करें। 
फाल्गुन का महीना आनंद और उल्लास का महीना माना जाता है।

फाल्गुन का महीना और बसंत का मौसम जब साथ होते हैं तो धरती की तुलना सजी-धजी दुल्हन से की जाती है। काफी मीलों तक फैले हुये सरसों के खेतों को देखकर ऐसा लगता है की मानो धरती ने पीली चुनरी ओढ़ रखी हो । फाल्गुन के महीने को आते ही सारा वातावरण रंगीन हो जाता है, और चारों ओर खुशहाली छा जाती है। इस समय हमे प्र्कृति की विविध छटाएँ देखने को मिलती हैं। हर ओर नवजीवन का नया संचार नजर आता है। 

नंदगांव में लाड़ली जी मंदिर में लड्डू होली मनाई जाएगी। ये पर्व नंदगांव में फाग निमंत्रण भेजने और उसे स्वीकार करने की खुशी में मनाया जाता है। फुलैरा दूज पर लोग श्री कृष्ण और राधारानी के संग फूलों की होली खेली जाती है। फुलैरा दूज से  होली की शुरआत मानी जाती है। 

देश भर में प्रसिद्ध मंदिरो की होली :- 

फाग आमंत्रण उत्सव- नंदगांव ,लड्डु होली व होली की द्वितीय चौपाई- बरसाना ,लट्ठ मार होली- नंदगांव ,फूलों की होली- श्रीकृष्ण जन्मस्थान ,अबीर-गुलाल/रंग होली- मथुरा ,श्रीद्वारिकाधीश मंदिर में टेसू फूल / अबीर गुलाल होली ,हुरंगा- नंदगांव
मना जाता है की  ...... 
"आयो रे...फागुन का महीना केसरिया रंग घोर....
सांवरिया थारी याद सतावे रे महीनो फागन को..
मेहंदी री लाली चुरा लायो फागण... आदि।"

राधाकृष्ण के अलौकिक प्रेम की झलक आज भी ब्रज की होली में मिलती है। इसे बरसाना और नंदगांव के हुरियारे और हुरियारिनों के बीच के संवादों में साफ देखा जा सकता है। बरसाना की हुरियारिनें राधा और उनकी सखियों का प्रतिनिधित्व करती हैं, तो नंदगांव के हुरियारे कृष्ण और उनके सखा का। फाल्गुन में रस और रंग से सराबोर यही दृश्य चालीस दिन तक ब्रज में देखने को मिलते हैं। 

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