क्या अब हर्ड इम्युनिटी के बल पर होगा कोरोना वायरस का सामना ?

कई राज्यों ने अपने आर्थिक नुकसान की भरपाई करने के लिए लॉकडाउन 3 में कई तरह की गतिविधियों में छूट दी है. इसके बाद भी कुछ कदम आगे बढ़ते हुए 12 मई से सरकार रेल सेवाओं को फिर से शुरू करने जा रही है. दिल्ली में पार्क खोले जा रहे हैं. इससे यह सवाल उठ रहा है कि सरकार कहीं देश को हर्ड इम्युनिटी के लिए तैयार तो नहीं कर रही है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों और महामारी से निपटने के लिए उपाय सुझाने वाले विद्वानों का एक वर्ग मानता है कि कोरोना वायरस से मुकाबले के लिए देश के पास इकलौता हथियार हर्ड इम्युनिटी है.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि हर्ड इम्युनिटी का हिंदी में अनुवाद सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता है. वैसे हर्ड का शाब्दिक अनुवाद झुंड होता है. विशेषज्ञों के अनुसार यदि कोरोना वायरस को सीमित रूप से फैलने का मौका दिया जाए तो इससे सामाजिक स्तर पर कोविड-19 को लेकर एक रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होगी.

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कोरोना को लेकर इन आंकड़ों से यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है कि लॉकडाउन असफल रहा है. यदि लॉकडाउन नहीं होता तो भारत इससे भी बुरी स्थिति में होता. डीम्ड यूनिवर्सिटी इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंसेज (आइआइपीएस) का अध्ययन बताता है कि कोविड-19 भारत में 30 लाख संक्रमितों की संख्या के साथ समाप्त हो सकता है. वहीं यदि लॉकडाउन नहीं लगाया जाता तो यह संख्या बढ़कर 1.71 करोड़ होती. यह बताता है कि लॉकडाउन भारत के लिए आवश्यक रणनीति थी. यद्यपि यह समाधान नहीं है. लॉकडाउन के दौरान मामलों की संख्या लगातार बढ़ती रही है. हालांकि इस दौरान केंद्र और राज्य सरकारों ने अपनी क्षमताओं में काफी इजाफा किया है.

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