क्या अलग-अलग वैक्सीन लगवाने से कोई खतरा हो सकता है?, जानिए जवाब
क्या अलग-अलग वैक्सीन लगवाने से कोई खतरा हो सकता है?, जानिए जवाब
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कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने तबाही मचा दी है। इस समय हर व्यक्ति इस संक्रमण की चपेट से खुद को बचाने की कोशिश में लगा हुआ है। कोई काढ़ा पी रहा है, कोई गर्म पानी तो कोई भाप ले रहा है। हालाँकि इस सभी के बीच वैक्सीन सबसे कारगर है। जी हाँ, भारत में इस समय 2 वैक्सीन लगाई जा रहीं हैं। वही जल्द ही स्पुतनिक वी वैक्सीन के भी बाजार में आने के कयास लगाए जा रहे हैं। फिलहाल जो दो वैक्सीन लग रहीं हैं उनके नाम कोवैक्सीन और कोविशिल्ड है। हालाँकि कई राज्यों को इसकी कमी से गुजरना पड़ रहा है लेकिन फिर भी कई ऐसे राज्य हैं जहाँ तेजी से वैक्सीनेशन किया जा रहा है। जब से वैक्सीन लगना शुरू हुई है कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी भी दिखाई देने लगी है। सबसे पहले कोरोना वैक्सीन केवल 45 साल से ऊपर की उम्र के लोगों को लग रही थी लेकिन अब यह 18 साल से ऊपर की उम्र के लोगों को भी लग रही है। दोनों ही वैक्सीन के दो डोज लेने हैं और उसके बाद हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी। कोरोना संक्रमण से बचने के लिए इस समय केवल वैक्सीन को कारगर बताया जा रहा है और इसी के चलते कोरोना संक्रमण को खत्म किया जा सकता है, हालाँकि अब तक कई ऐसे मामले भी सामने आ चुके हैं जिनके वैक्सीन लगवाने के बाद भी कोरोना संक्रमण हुआ है। ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल है कि आखिर कोरोना वैक्सीन लगावाने के बाद भी व्यक्ति संक्रमित क्यों हो रहा है?, कौन-कौन सी वैक्सीन लग रही है?, अगर पहली बार में कोवैक्सीन लगवा ली जाए और दूसरी डोज लेने के समय कोविशिल्ड लगवा ली जाए तो क्या नुकसान हो सकते हैं?, स्पुतनिक वैक्सीन कब लगेगी?, वैक्सीन कब तक रहेगी असरदार? आज हम आपको इन्ही के जवाब देने जा रहे हैं। पहले जान लीजिये वैक्सीन के बारे में

को-वैक्सीन- अगर हम को-वैक्सीन के बारे में बात करें तो यह स्वदेशी वैक्सीन है। आप सभी को बता दें कि इस वैक्सीन का निर्माण इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के सहयोग से भारत बायोटेक द्वारा किया गया है। शोध करने वाले वैज्ञानिक यह मानते हैं कि इस वैक्सीन को परंपरागत तरीके से विकसित किया गया है। इस वैक्सीन का प्रयोग शरीर में कोरोना के खिलाफ एंटीबाडी बनाने के लिए किया जा रहा है। अगर हम कीमत की बात करें तो को-वैक्सीन की एक डोज राज्यों को 600 रुपये में मिल रही है। इसी के साथ प्राइवेट अस्पतालों को इसकी एक डोज 1200 रुपये में मिल रही है। फिलहाल भारत बायोटेक केंद्र सरकार को 150 रुपये प्रति डोज के हिसाब से कोवैक्सीन दे रही है।

को-वैक्सीन का प्रभाव और इसके दोनों डोज के बीच का अंतर-  जब को-वैक्सीन किसी व्यक्ति को पहली बार लगती है कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को तैयार करती है। आपको बता दें कि कोवैक्सीन ने दूसरे अंतरिम एनालिसिस में 78 प्रतिशत प्रभावकारिता और गंभीर कोविड -19 डिजीज के खिलाफ 100 प्रतिशत प्रभाव दिखाया है। इसी के साथ अगर हम पहले डोज के बाद दूसरे डोज लेने के बीच के अंतर के बारे में बात करें तो वह 28 दिन है। आप को-वैक्सीन का पहला डोज लगवाने के बाद दूसरा डोज 28 दिन बाद लगवा सकते हैं।


कोविशिल्ड वैक्सीन-  कोविशिल्ड ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन है और इसे देश की सबसे बड़ी निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ने एस्ट्रेजेनिका के साथ मिलकर तैयार किया है। जिसे CDSCO पैनल की तरफ से मंजूरी मिली है और अब यह भारत में लोगों को लगाई जा रही है। आप सभी को हम यह भी जानकारी दे दें कि कोविशील्ड वैक्सीन की कीमत 700 रुपए प्रति डोज है जी दरअसल यह वैक्सीन राज्य सरकारों को 400 रुपये और निजी अस्पतालों को 600 रुपये में मिल रही है। इसका मतलब है कि वैक्सीन की कीमत और लगवाने के चार्ज समेत आपको निजी अस्पतालों में 700 रुपये देने होंगे। फिलहाल केंद्र सरकार को मात्र 150 रुपये प्रति खुराक की दर से कोविशील्ड वैक्सीन दी जा रही है।

कोविशील्ड का प्रभाव और इसके दोनों डोज के बीच का अंतर- कोविशील्ड का पहला डोज शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली को एंटीबॉडी का उत्पादन शुरू करने में मदद करता है और इसी के साथ कोरोना संक्रमण से लड़ने की भी क्षमता देता है। अगर हम प्रभावकारिता के बारे में बात करें तो कोविशिल्ड की कुल प्रभावकारिता 70 प्रतिशत है। वही यह भी कहा जा रहा है कि यह 90 प्रतिशत से अधिक हो सकता है, लेकिन तब जब इसकी दूसरी यानि फुल डोज दे दी जाती है। इस वैक्सीन कि दूसरी डोज के बारे में बात करें तो वह पहली डोज लगवाने के 4 से 12 हफ्ते के अंतराल पर लगवाने के बारे में कहा गया है, हालाँकि अब इसे बढ़ाकार 12-16 हफ्ते करने के बारे में बात की जा रही है।

स्पुतनिक V वैक्सीन- यह वैक्सीन रूस द्वारा निर्मित की गई है और इसकी कीमत के बारे में बात करें तो यह 948 रुपये प्लस 5% जीएसटी होगी। यानी यह कहा जा सकता है कि 948 रुपये के अलावा इस पर 5% जीएसटी यानी 47।40 रुपये जीएसटी चार्ज किया जाएगा। ऐसे कुल मिलाकर इसका एक डोज 995.40 रुपये का होगा। आप सभी को यह भी जानकारी दे दें कि स्पूतनिक तीसरी ऐसी कोविड-19 वैक्‍सीन होगी, जिसे भारत में इस्‍तेमाल किया जाने वाला है। हालाँकि अब तक यह इस्तेमाल नहीं हो रही है और लोगों को इसकी डोज लगाने की शुरुआत कब से होगी, यह बात भी अब तक साफ़ नहीं हो पाई है। स्पुतनिक वैक्सीन को लेकर केंद्र सरकार ने कहा था, ''वैक्‍सीन के हर बैच की पहले कसौली स्थित सेंट्रल ड्रग्‍स लैबोरेटरी (CDL) में जांच होगी, उसी के बाद उसे नैशनल कोविड-19 वैक्‍सीनेशन प्रोग्राम में यूज किया जा सकेगा। लैब में यह जांचा जाएगा कि वैक्‍सीन सुरक्षित, असरदार और किसी भी तरह के अन्‍य संक्रमण से मुक्‍त है। एक बार CDL से अप्रूवल मिलने के बाद, डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज (जिसे यह वैक्‍सीन इम्‍पोर्ट करने की अनुमति मिली है) केवल 100 लोगों को स्‍पूतनिक वी वैक्‍सीन की डोज देगी। वैक्‍सीन का सेफ्टी डेटा सेंट्रल ड्रग्‍स स्‍टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) को सबमिट किया जाएगा। CDSCO के एक्‍सपर्ट्स इस डेटा का रिव्‍यू करेंगे और उसके बाद कंपनी को वैक्‍सीन के इस्‍तेमाल की अनुमति देंगे।'' वही दूसरी तरफ यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि अगले हफ्ते यानी 17 मई के बाद से स्‍पूतनिक वी बाजार में उपलब्‍ध हो जाएगी।

स्पुतनिक V वैक्सीन का प्रभाव और दोनों डोज के बीच का अंतर- आप सभी को बता दें कि स्पुतनिक V वैक्सीन बनाने वालों का कहना है कि इस वैक्‍सीन कि एफेकसी 91.6 प्रतिशत है। यह कोविड-19 के गंभीर परिणामों से पूरी सुरक्षा देती है। इसके रूस में ट्रायल हुए हैं और उसके अलावा इसके भारत में भी फेज 2 और 3 के ट्रायल किये गए हैं। यह वैक्सीन लेने के बाद किसी प्रकार की एलर्जी नहीं देखी गई है और इसी के साथ यह बहुत अधिक मात्रा में और लंबे समय तक इम्‍युनिटी प्रदान करती हैं। इस वैक्सीन की एक डोज 0.5 ml की होती है और दोनों डोज के बीच 21 दिनों का अंतर रखा जाता है।

 

कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद भी क्यों हो रहा है व्यक्ति कोरोना संक्रमित- इस बारे में कुछ डॉक्टर्स का कहना है कि वैक्सीन एक बूस्टर के रूप में कार्यरत है। यह बुखार और अन्य तरह के लक्षणों से बचाव करती है। लेकिन सबसे बड़ी बात है कि वैक्सीन लगवाने के बाद आपको लापरवाही नहीं करनी चाहिए। जी दरअसल कई ऐसे लोग हैं जो वैक्सीन लगवाने के बाद यह मानते हैं कि उन्हें अब कोरोना संक्रमण का खतरा नहीं है, हालाँकि यह बिलकुल गलत है। अगर आप वैक्सीन के दोनों डोज ले चुके हैं लेकिन आप बिना मास्क के घूम रहे हैं या फिर सभी से हाथ मिला रहे हैं, गले मिल रहे हैं तो आपको संक्रमण का खतरा है। कई डॉक्टर्स का कहना है, वायरस नाक के ज़रिए शरीर में प्रवेश करता है और इस समय जो वैक्सीन दी जा रही है, वह नाक में नहीं बल्कि खून में एंटीबॉडी बना रही है। इसी के चलते वायरस का आपके शरीर में आक्रमण करने का रास्ता खुला है। वही यह कहा जा सकता है कि अगर वैक्सीन मिल जाती है, तो इंफेक्शन होने के चांस काफी कम हो जाते हैं। जी हाँ, कई डॉक्टर्स ने माना है कि वैक्सीन लगवाने के बाद संक्रमण हो सकता है लेकिन फेफड़ों को कोई नुकसान नहीं होगा और आप काफी हद सक सुरक्षित रहेंगे। ध्यान रहे वैक्सीन के दोनों डोज लेने के बाद आपको मास्क लगाना है और कोरोना की गाइडलाइंस का पालन करना है क्योंकि अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपके कोरोना संक्रमित होने की संभावना ज्यादा है।

क्या होगा अगर पहली डोज कोवैक्सीन और दूसरी डोज कोविशिल्ड लगवा ली जाए तो- कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए वैक्सीन कारगर है लेकिन ध्यान रहे आपने पहली डोज जिस वैक्सीन की ली दूसरी डोज भी आपको उसी वैक्सीन की लेनी है। जी हाँ, अगर आपने पहली बार कोवैक्सीन का डोज लिया है तो आपको दूसरी बार भी कोवैक्सीन का ही डोज लेना है ना कि कोविशिल्ड का। क्योंकि यह खतरनाक हो सकता है। जी दरअसल अब तक की साइंटिफिक स्टडी में यह बात सामने नहीं आई है कि आप पहला और दूसरा डोज अलग-अलग वैक्सीन का ले सकते हैं। बल्कि हर बार यही कहा जा रहा है कि आपने जो वैक्सीन पहली बार ली उसे ही दूसरी बार भी ले। जी दरअसल अगर आप दो डोज लेने के दौरान अलग-अलग वैक्सीन लगवाते हैं तो इससे आपके शरीर को खतरा हो सकता है। बीते दिनों ही महाराष्ट्र से एक ऐसा मामला सामने आया है। यहाँ महाराष्ट्र के जालना में एक बुजुर्ग को दो अलग-अलग वैक्सीन लगा दी गई जिसकी वजह से बुजुर्ग की तबीयत बिगड़ गई है। पहले बुजुर्ग को कोवैक्सीन दी गई और दूसरी डोज देते समय उन्हें गलती से कोविशील्ड लगा दी गई। यह होने के बाद बुजुर्ग के शरीर पर रैशेज हो गए और उन्हें बुखार भी आने लगा। खैर यह पहला मामला है लेकिन इससे यह साबित हुआ है कि दो अलग-अलग वैक्सीन लगवाना खतरनाक हो सकता है इससे आपको गंभीर थकान, सिरदर्द हो सकते हैं। इस वजह से अगर आप वैक्सीन लगवा रहे हैं तो दोनों डोज एक ही वैक्सीन के होने चाहिए। आपको दी जाने वाली पर्ची में आप वैक्सीन का नाम पढ़े और जरूर देखे कि आपको दोनों डोज एक ही वैक्सीन के लगे है अन्यथा नहीं। 


वैक्सीन कब तक रहेगी असरदार- कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद शरीर में इम्युनिटी बूस्ट होगी और हमे कोरोना संक्रमण से लड़ने में ताकत मिलेगा लेकिन कब तक? यह सवाल सभी के मन में है। ऐसे में ऑरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर ग्लोबल हेल्थ के डायरेक्टर चुन्हुई ची का कहना है कि, 'कोविड-19 की वैक्सीन लगने के बाद शरीर में निश्चित समय के लिए इम्यूनिटी रहती है। इससे बचने के लिए हमें हर साल भी वैक्सीन लगवाने की जरूरत पड़ सकती है।' वही दूसरी तरफ कोविशील्ड को लेकर प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट का कहना है कि, ''यह वैक्सीन कई सालों तक भी रह सकती है और नैचुरल तरीके से इम्यूनिटी डेवलप होने से बेहतर परिणाम दे सकती है।'' इसी के साथ कोवैक्सीन बनाने वाली भारत बायोटेक कंपनी ने यह दावा किया है कि ''कोविड-19 के खिलाफ कोवैक्सीन 6 महीने से लेकर एक साल तक एंटीबॉडी प्रोड्यूस करने में कारगर है।'' यह सब दावों को देखने के बाद कुछ भी साफ़ नहीं होता है। हो सकता है इम्युनिटी 6 महीने तक रहे या फिर हो सकता है कि हमे हर साल यह वैक्सीन लगवानी पड़े! खैर अभी कुछ भी साफ नहीं है। 

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