
अयोध्या: रामनगरी अयोध्या स्थित हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास एक बार फिर विवादों में हैं। इस बार उनके निशाने पर समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत मुलायम सिंह यादव हैं। महंत राजू दास ने महाकुंभ के दौरान सपा कार्यकर्ताओं द्वारा मुलायम सिंह यादव की प्रतिमा स्थापित करने को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक विवादास्पद टिप्पणी की। इस टिप्पणी से समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में जबरदस्त आक्रोश फैल गया, जिसके बाद वाराणसी सिविल कोर्ट में उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया गया।
अधिवक्ता प्रेम प्रकाश यादव ने यह मुकदमा दर्ज कराया है। उन्होंने कहा, "राजू दास की टिप्पणी ने मुलायम सिंह यादव के योगदान का अपमान किया है। वह गरीबों और पिछड़े वर्गों के नेता थे। हम चाहते हैं कि अदालत इस मामले में सख्त कार्रवाई करे।" अदालत ने मुकदमे को स्वीकार करते हुए 17 फरवरी को सुनवाई की तारीख तय की है। राजू दास ने अपनी टिप्पणी में सपा कार्यकर्ताओं द्वारा लगाए गए मुलायम सिंह यादव की प्रतिमा पर नाराजगी जताई थी और इसे महाकुंभ की मर्यादा के खिलाफ बताया था। उन्होंने इस पर कार्रवाई की मांग भी की थी। हालांकि, सपा कार्यकर्ताओं ने इसे दिवंगत नेता का अपमान माना और तुरंत कानूनी कार्रवाई की मांग की।
सपा प्रवक्ता मनोज राय धूपचंडी ने कहा, "महंत राजू दास की टिप्पणी बेहद अपमानजनक है। हमने पुलिस से कार्रवाई की मांग की थी, लेकिन अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया। कोर्ट ने मामला स्वीकार कर लिया है, और हम उम्मीद करते हैं कि राजू दास को उनके बयानों के लिए सजा मिलेगी।" उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर ने भी राजू दास की टिप्पणी की निंदा की। उन्होंने कहा, "मुलायम सिंह यादव न केवल एक नेता थे, बल्कि पिछड़े और वंचित वर्गों के मसीहा भी थे। इस तरह की बयानबाजी समाज के लिए गलत संदेश देती है।"
यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या केवल राजू दास के खिलाफ कार्रवाई करना न्यायसंगत है? अगर बयानों के लिए FIR दर्ज करनी हो, तो फिर उन हजारों लोगों के खिलाफ भी होनी चाहिए जो दिन-रात नेताओं, यहां तक कि प्रधानमंत्री तक को अपमानजनक शब्दों से संबोधित करते हैं। महंत राजू दास पर आरोप है कि उन्होंने अपनी टिप्पणी से मर्यादा तोड़ी, लेकिन क्या यह पहली बार हुआ है जब किसी नेता पर इस तरह का बयान दिया गया हो? मुलायम सिंह यादव खुद विवादों में रहे हैं। 2014 में, उन्होंने बलात्कार के मामलों पर कहा था, "लड़के हैं, लड़कों से गलती हो जाती है।" यह बयान महिलाओं के प्रति असंवेदनशील था और काफी विरोध का कारण बना था। लेकिन क्या तब मुलायम सिंह यादव को किसी तरह की सजा मिली? इसके बजाय, वह तब भी मुख्यमंत्री बने रहे।
इस पूरे मामले ने यह बहस छेड़ दी है कि क्या कानूनी कार्रवाई केवल चुनिंदा मामलों में ही होनी चाहिए? अगर बयानों पर सख्ती से कार्रवाई होनी है, तो यह सभी पर समान रूप से लागू होनी चाहिए। चाहे वह किसी नेता, साधु-संत, या आम नागरिक द्वारा दिया गया बयान हो। वाराणसी सिविल कोर्ट में 17 फरवरी को इस मामले की सुनवाई होगी। लेकिन यह मामला सिर्फ एक टिप्पणी का नहीं है, बल्कि इस बात का भी प्रतीक है कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं कैसे परस्पर टकराती हैं। राजू दास की टिप्पणी गलत हो सकती है, लेकिन इस मुद्दे ने न्याय और समानता के सवालों को भी जन्म दिया है। अब देखना यह है कि अदालत क्या फैसला देती है और यह मामला कितनी दूर तक जाता है।