यौन संबंध बनाने की उम्र 16 साल करने के क्या है मायने
यौन संबंध बनाने की उम्र 16 साल करने के क्या है मायने
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भातीय संस्कृति में मूल्यों और संस्कारो को अपनी धरोहर माना जाता है और विवाह को पवित्र संस्कार और जन्म जन्मांतर का रिश्ता माना जाता है. और शादी से पहले यौन संबंधों को अपराध की तरह देखा जाता है. ऐसे में हाल ही में मेनका गाँधी की अध्यक्षता वाली समिती द्वारा सहमती से यौन संबंध बनाने की उम्र 18 से घटाकर 16 साल करने की सिफारिश की है. और इस सिफारिश के पीछे उन्होंने दलील दी है कि इस बदलाव से भारत में यौन शोषण व बलात्कारों की घटनाओं में कमी आएगी. यदि उन्होंने ये दलील दी है तो शायद उन्हें ये भी तर्क देना चाहिए था की ये होगा कैसे. क्यूंकि सहमति से यौन संबंधों की उम्र कम करके बलात्कार की घटनाओ में कमी आने की बात मुझे तो समझ नहीं आती. क्या यह क़ानून हमारे पारिवारिक परिपेक्षय में उचित है जहा एक लड़के के साथ देखे जाने पर भी एक लड़की को चरित्रहीन करार दिया जाता है. वहा सहमति से यौन सम्बन्ध बनाने के नियम का क्या तुक है.और क्या उन्हें ये लगता है की इस नियम के आने से पहले 16 वर्ष के युवक-युवती यौन सम्बन्ध नहीं बनाते है.

विवाह के लिए लड़के की न्यूनतम उम्र 21 और लड़की 18 तय की गयी है ऐसे में सहमती से यौन संबंध बनाने की उम्र को 16 साल कर देना हमारी मान्यताओं और संस्कृति पर क्या एक करारा प्रहार नहीं है? क्या अब हम ये चाहते है कि हमारी आने वाली पीड़ी शादी से पहले ही यौन संबंध बनाए? और अगर हम इसे इसीलिए कर रहे है कि इससे यौन शोषण के मामलों में कमी आएगी तो ये मेरी तो समझ से परे है क्योंकि हमारे देश में बलात्कार या यौन शोषण की घटनाए ग्रामीण या पिछड़े इलाकों में ही होती है. मुझे नहीं लगता की जो भी लोग इस प्रकार की घटनाओं को अंजाम देते है उनके पास कोई ऐसा साथी होता होगा जो उनके साथ यौन संबंध बनाने के लिए राजी हो और जिसकी उम्र भी 16 से 18 साल के बीच हो. अगर ऐसा है तो फिर उम्र निर्धारित करने की ही क्या जरुरत है. सभी को अपनी शारीरिक व मानसिक स्थिति के आधार पर उसे यौन संबंध बनाने की आज़ादी देनी चाहिए.फिर 16 साल का बंधन भी क्यूँ ?

दिल्ली में हुए निर्भया काण्ड के बाद भी ये मुद्दा खूब गरमाया था और इसकी सिफारिश करने वालों को विरोध का सामना करना पड़ा था. उस समय भी इस मांग को खारिज कर दिया था इस बात पर विचार किया जाए आज कल ऐसे कितने मामले सामने आए है जिनमें 16 से 18 साल के बीच की उम्र में सहमती से संबंध बनाने वाले पकडे गए हो या उनके खिलाफ कार्रवाई हुई हो. इन मामलों में पहली बात तो ये है की इस तरह के कर्म करने वाले लोग आमतौर पर सुरक्षित जगह ही चुनते है.और अगर इसके बाद भी कोई अप्रिय घटना होती भी है या ये पकड़े भी जाते है तो इनके परिवार वालों द्वारा मामले को दबा दिया जाता है. ऐसे में स्वेच्छा से यौन संबंध बनाने की उम्र को घटाकर 16 साल करने से यौन शोषण के मामलों में कमी के मुझे तो कोई आसार नहीं दिखते.

हमारे देश में आज भी करीब 70 फ़ीसदी आबादी गावों में या छोटे शहरों में रहती है. जहाँ शादियों को जीवन का अतिमहत्वपूर्ण अंग माना जाता है. शादी के लिए लड़कियों की उम्र 18 साल और लड़कों के लिए तो ये उम्र 21 साल रखी गई है तो क्या ऐसे में यौन संबंध बनाने की उम्र 16 साल करना हमारी संस्कृति पर विपरीत असर डालने वाला फैसला साबित हो सकता है. या ये कह सकते है की ये निर्णय शादी से पहले यौन सम्बन्ध बनाने की प्रेरणा दे रहा है. हालांकि ये मामला अभी हाई कोर्ट में विचाराधीन है और मुझे पूरा विश्वास है कि इसके हर पहलू पर गोर करके ही कोई फैसला लिया जाएगा.

पं. सुदर्शन शर्मा

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