पश्चिम बंगाल: पुराने हादसों से सबक न लेने का नतीजा है 'मजेरहाट पुल हादसा'
पश्चिम बंगाल: पुराने हादसों से सबक न लेने का नतीजा है 'मजेरहाट पुल हादसा'
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नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में हुए मजेरहाट पुल हादसे के बाद राज्य सरकार की लापरवाही पर फिर सवाल उठने लगे हैं. वहीं सरकार जाँच करवाने का आश्वासन देकर इस मामले से पल्ला झाड़ने लगी है. किन्तु लगातार होते इन हादसों से कांग्रेस, बीजेपी और अन्य विपक्षी पार्टियों ने तृणमुल कांग्रेस की आलोचना की है. विपक्ष ने कहा है कि राज्य सरकार ने पिछले हादसों से कोई सबक नहीं लिया है. हाल में हुए इस हादसे ने देश के पुराने हादसों के भयावह जख्मों को भी कुरेद दिया है.

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आज से लगभग ढाई साल पहले बड़ाबाजार इलाके में निर्माणाधीन विवेकानंद फ्लाईओवर के ढहने से भी दर्जाओं लोग मारे गए थे, उस समय भी राज्य की ममता सरकार ने जांच के आदेश जारी किए थे, लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है. 31 मार्च, 2016 को हुए उक्त हादसे के सिलसिले में पुलिस ने 16 लोगों को गिरफ्तार किया था, लेकिन तमाम अभियुक्त जमानत पर बाहर हैं. हालाँकि मामले के सरकारी वकील तमाल मुखर्जी कहते हैं कि दोषियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर हो चुका है, जल्द मामले की सुनवाई की जाएगी. लेकिन यहां बात गले नहीं उतर रही है कि तमाम सबूतों के बाद भी अब ही तक मामले कि सुनवाई नहीं हो रही है, सजा मिलना तो दूर की बात .

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विशेषज्ञों की मानें तो कानून का लचीलापन इस तरह के हादसों के लिए जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि  वर्ष 2013 में हुए उल्टाडांगा में एक ऐसा ही हादसा हुआ था, इस फ्लाईओवर हादसे में भी मौजूदा तृणमूल कांग्रेस सरकार ने पूर्व लेफ्ट फ्रंट सरकार के माथे हादसे का ठीकरा फोड़ कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्ति पा ली थी. रिपोर्ट जांच में पाया गया था कि फ्लाईओवर के बुनयादी नक़्शे में ही गलतियां थी, जिसके कारण वो ट्रैफिक का भार वहन नहीं कर सका. 

क्यों हुआ मजेरहाट हादसा ?


स्थानीय लोगों का कहना है कि 50 साल पुराने माझेरहाट ब्रिज की मरम्मत नहीं की जाती थी, एक निवासी कहते हैं कि मरम्मत के नाम पर इसे सिर्फ मुख्यमंत्री के पसंदीदा रंग नीले रंग से रंग दिया जाता था. कुछ लोग कहते हैं कि माझेरहाट का एक हिस्सा क्या रखरखाव व समय-समय पर मरम्मत नहीं होने की वजह से कमज़ोर हो गया था, जिसके बाद रेलवे लाइन के काम ने इसे और कमज़ोर बना दिया. लोगों का आरोप है कि रेलवेलाइन का काम करते समय पुल के खम्बों में ड्रिल किया गया, जिस कारण खम्बे कमज़ोर हो गए थे. इतने आरोपों के बाद पिछले महीने ही ब्रिज की मरम्मत का काम किया गया था, लेकिन इसमें कुछ तो खामियां रही होंगी जिससे पुल मरम्मत के एक महीने बाद ही ढह गया, इस सवाल पर राज्य सरकार अभी तक चुप्पी साधे हुए है. 

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