चुनाव ने बंगाल को मौत के मुंह में झोंका ! कोलकाता में कोरोना टेस्टिंग करवा रहा हर दूसरा शख्स संक्रमित
चुनाव ने बंगाल को मौत के मुंह में झोंका ! कोलकाता में कोरोना टेस्टिंग करवा रहा हर दूसरा शख्स संक्रमित
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कोरोना महामारी से बुरी तरह जूझ रहे देश के बीच बंगाल चुनाव एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। विपक्ष से लेकर कई अन्य बुद्धिजीवी, महामारी के संकट काल के दौरान चुनावी रैलियों में जुट रही भीड़ के लिए चुनाव आयोग (EC) और केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं। इसी बीच एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है, बताया जा रहा है कि बंगाल में जब से चुनाव कार्यक्रम शुरू हुआ है, तब से अब तक राज्य में कोरोना संक्रमण के फैलने की रफ़्तार 5 गुना से अधिक बढ़ गई है। वहीं, सूबे की राजधानी कोलकाता में तो हालात और भी ख़राब हैं, यहां कोरोना की जांच कराने वाला हर दूसरा व्यक्ति संक्रमित पाया जा रहा है। सीधे शब्दों में समझें तो कोलकाता में जितने भी सैम्पल्स के टेस्ट किए जा रहे हैं, उनमे से 50 फीसद में संक्रमण की पुष्टि हो रही है। पश्चिम बंगाल में RT-PCR टेस्ट करने वाली एक बड़ी प्रयोगशाला के डॉक्टर के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि कोलकाता और इसके आसपास के इलाकों में सकारात्मकता दर 45 से 55 फीसद तक पहुंच चुकी है।  

अगर पूरे बंगाल राज्य के आंकड़े देखें तो वह भी राहत देने वाले नहीं हैं, बंगाल में हर 4 सैम्पल्स में से औसतन एक व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाया जा रहा है। विशेषज्ञ इस पॉजिटिविटी रेट के और अधिक होने की आशंका जता रहे हैं, फिलहाल राज्य में सकारात्मकता दर 24 से 26 फीसद बताया जा रहा है। आंकड़े देखने से पता चलता है कि राज्य में कोरोना किस खतरनाक रफ़्तार से फैला है। एक अप्रैल को जहाँ  25,766 सैंपल की टेस्टिंग किए जाने पर केवल 1274 सैम्पल्स में संक्रमण की पुष्टि हुई थी, यानी पॉजिटिविटी रेट 4.9 फीसद था। वहीं, विगत शनिवार यानी 24 अप्रैल को की गई  55,060 सैम्पल्स की टेस्टिंग में 14,281 संक्रमित पाए गए हैं, यानी सकारात्मकता दर 25.90  हो गया है। बता दें कि बंगाल में 27 मार्च से चुनाव शुरू हुए थे, जिसके साथ ही ताबड़तोड़ रैलियों का सिलसिला भी शुरू हो गया था, इन रैलियों में बड़ी मात्रा में लोग इकठ्ठा हो रहे थे, जिसमे कोरोना प्रोटोकॉल की जमकर धज्जियाँ उड़ाई जा रही थीं। न कोई मास्क पहने नज़र आता था और न ही सोशल डिस्टन्सिंग का कोई ध्यान रखा जा रहा था। बंगाल में हुई इस त्रासदी के लिए किसी एक सियासी दल को दोष देना ठीक नहीं होगा, जहाँ देश के पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह ने बंगाल फतह करने के लिए कोरोना महामारी को नज़रअंदाज़ किया, वहीं राज्य की सीएम और तृणमूल कांग्रेस (TMC) सुप्रीमो ममता बनर्जी ने भी हज़ारों की भीड़ इकठ्ठा कर रैलियां और रोड शो किए, चुनाव जीतने की चाह में सभी ने मिलकर बंगाल की जनता की सेहत के साथ जमकर खिलवाड़ किया। आज जब हालात काबू से बाहर हो गए हैं तो सभी राजनैतिक पार्टियां एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहीं हैं। बद से बदतर हालात होते देख और जनता द्वारा पुरजोर मांग उठाने के बाद, अब चुनाव आयोग की नींद खुली है, आधे से अधिक चरण के चुनाव हो जाने के बाद चुनाव आयोग और सियासी दलों के नेताओं ने इस पर फैसले लिए। विगत गुरुवार को अंतिम चरण के मतदान से 7 दिन पहले ही आयोग ने राज्य में रोड शो करने और रैलियां निकालने को लेकर कुछ बंदिशें लगाई हैं। अब आयोग ने चुनावी जनसभाओं में महज 500 लोगों के ही शामिल होने की अनुमति दी है, साथ ही राजनैतिक दलों को कोरोना नियमों का पालन सुनिश्चित करवाने के भी निर्देश दिए हैं। 

इसके अलग कुछ कारणों पर बात की जाए तो राज्य के डॉक्टर बताते हैं कि कोरोना का दूसरा वैरिएंट अधिक रफ़्तार से फ़ैल रहा है, यह भी एक बड़ी वजह है कि संक्रमितों की तादाद में अचानक उछाल आया है। इसके साथ ही डॉक्टर यह भी बताते हैं कि कई मामलों में लक्षण ही नज़र नहीं आ रहे हैं और इसी कारण बहुत कम लोग अपना कोरोना टेस्ट करवाने पहुंच रहे हैं, लेकिन जब उनसे उनके परिवार वालों में संक्रमण फैलता है और हालात गंभीर हो जाते हैं, तब वे अस्पतालों का रुख करते हैं, लेकिन जब तक पूरा परिवार संक्रमित हो चुका होता है। मेडिका ग्रुप के चेयरमैन और न्यूक्लीयर कार्डियोलॉजिस्ट अलोक रॉय की मानें तो, टेस्टिंग लैब में अचानक सकारात्मक दर 50 फीसद तक बढ़ गया है। ऐसे में सैंस्टिंग का दवाब भी बढ़ गया है। वे कहते हैं कि, हम कितनी तेजी से वायरस को डिटेक्ट कर पाते हैं, उसका असर मरीज के उपचार पर पड़ता है। जितनी जल्दी और शुरूआती अवस्था में मरीज को उपचार मिलने लगता है, उतने ही जल्दी उसके स्वस्थ होने की संभावना भी रहती है। 

कोलकाता स्थित NICED ने बताया है कि उनकी लैब में सकारात्मकता दर 55 फीसद हो गई है। इधर, शहर के सभी बड़ी प्रयोगशालाओं में यह देखने में आया है कि दुर्गा पूजा के बाद अप्रैल के पहले सप्ताह के मुकाबले दूसरे हफ्ते में पॉजिटिव सैंपल 20 फीसद तक बढ़ गए हैं। आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल में रविवार को रिकॉर्ड 15,889 नए कोरोना के मामले दर्ज किए गए हैं, जिससे कुल कोरोना मरीजों की तादाद 7,43,950 हो चुकी है, साथ ही पिछले 24 घंटों में 57 लोगों की मौत कोरोना की चपेट में आने के कारण हो गई है, जिसके बाद राज्य कुल मृतकों की संख्या 10,941 हो गई है। 

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