श्रम कानूनों को लेकर मोदी की मौजूदगी में मजदूरो ने बोला हमला
श्रम कानूनों को लेकर मोदी की मौजूदगी में मजदूरो ने बोला हमला
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नई दिल्ली : भाजपा से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (BMS) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में ही सरकार पर उसकी कुछ गलत नीतियों को लेकर हमला बोला और कहा कि वह श्रमिकों की लागत पर’ कोई सुधार करने की छूट नहीं देगा. BMS के इस रूख को श्रम कानूनों में सुधार पर सत्तारूढ दल के अपनों के बीच ही मतभेद का संकेत है. देश की सबसे बड़ी ट्रेड यूनियनों में से एक BMS ने मांग की कि भाजपा शासित राजस्थान में लागू उद्योग अनुकूल कारखाना कानून और केंद्र सरकार के नये श्रम कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए. वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई वाली मंत्रिस्तरीय समिति के साथ बैठक और मोदी के साथ चाय पर बैठक के एक दिन बाद BMS के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी एन राय ने कहा कि सरकार को सहमति बनने तक श्रम कानून में सुधार की प्रक्रिया को रोक देना चाहिए.

उन्होंने आज यहां 46वें भारतीय श्रम सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, सरकार ने कुछ गलत नीतियां अपनायी हैं जो सीधे लोगों विशेषरूप से श्रमिकों को प्रभावित कर रही हैं. राय ने इस संदर्भ में एकतरफा तरीके से लागू किए गए एप्रेंटिस कानून के अलावा राजस्थान सरकार को कारखाना व अन्य श्रम कानूनों में एकतरफा तरीके से बदलाव लागू करने की अनुमति का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि इससे महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा व अन्य राज्य भी इसी के अनुरूप आगे बढ़ने को प्रोत्साहित होंगे. राय ने भविष्य निधि कर्ज पर कर, स्व प्रमाणन की अनुमति देकर निरीक्षकों को हटाने तथा न्यूनतम मजदूरी को फ्लोर स्तर की मजदूरी में तब्दील करने के प्रयास को कुछ और गलत नीतियां करार दिया. 

राय ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति की आलोचना करते हुए कहा कि विदेशी निवेश हमारी कुल अर्थव्यवस्था में 10 प्रतिशत तक भी नहीं पहुंच सकता. राय ने कीमत सूचकांक और सामाजिक सुरक्षा के साथ न्यूनतम मासिक मजदूरी 15,000 रुपये करने, राजस्थान और अन्य राज्यों द्वारा लागू किए गए कारखाना कानून को वापस लेने, ठेका श्रमिकों के विनियमन के अलावा सार्वजनिक उपक्रमों को बिना किसी अड़चन के काम करने देने की मांग की. उन्होंने बताया कि त्रिपुरा जैसे राज्यों में न्यूनतम मजदूरी 55 रुपये प्रतिदिन है. राय ने कहा कि ट्रेड यूनियनें देश के औद्योगिक विकास के खिलाफ नहीं हैं. राय ने कहा, हम भी तेज वृद्धि चाहते हैं. लेकिन हम इसे श्रमिक या कृषि की कीमत पर नहीं चाहते हैं. उन्होंने पिछले भारतीय श्रम सम्मेलनों की सिफारिशों को लागू करने के लिए कड़े कदम उठाने की मांग की. इनमें न्यूनतम मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा बिना किसी सीमा के बोनस जैसी सिफारिशें शामिल हैं.

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