'फ्री के वादे करने वाले सियासी दलों को हम नहीं रोक सकते, आप ही बनाएं कानून..', SC में बोला चुनाव आयोग
'फ्री के वादे करने वाले सियासी दलों को हम नहीं रोक सकते, आप ही बनाएं कानून..', SC में बोला चुनाव आयोग
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नई दिल्ली: निर्वाचन आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया है कि सत्ता में आने पर सियासी दलों की तरफ से मुफ्त उपहार देने के वादों को रेगुलेट करने की कोई भी कार्रवाई तभी असरदार होगी, जब इसे लेकर कानूनी प्रावधान बनाए जाएं। चुनाव आयोग, पैनल वकील और भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की तरफ से दाखिल की गई जनहित याचिका का जवाब दे रहा था, जिसमें मुफ्त का ऐलान करने वाले राजनीतिक दलों का पंजीकरण निरस्त करने की मांग की गई थी।

चुनाव आयोग ने अपने हलफनामे में कहा कि निर्वाचन आयोग राज्य की नीतियों और फैसलों को रेगुलेट नहीं कर सकता है, जो जीतने वाली पार्टी की तरफ से सरकार बनाने पर लिए जा सकते हैं। इस प्रकार की कार्रवाई कानूनी प्रावधानों को सक्षम किए बगैर शक्तियों का अतिक्रमण होगा। यह ध्यान रहे कि मुफ्त उपहार देना सियासी दलों का नीतिगत फैसला है। कोर्ट सियासी दलों के लिए दिशानिर्देश तैयार कर सकती है। निर्वाचन आयोग इसे लागू नहीं कर सकता।

चुनाव आयोग ने अपने जवाब में सुप्रीम कोर्ट को बताया कि क्या ऐसी नीतियां आर्थिक रूप से सही हैं या राज्य के आर्थिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं, यह एक सवाल है जिसे राज्य के वोटरों को निर्धारित करना है। जनवरी में शीर्ष अदालत ने केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में याचिका पर जवाब मांगा था। शीर्ष अदालत ने वोटर्स को मुफ्त उपहार देने का वादा करने वाले राजनीतिक दलों पर चिंता जताई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा था कि इससे नियमित बजट पर प्रभाव पड़ता है।

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