करना चाहते थे दूसरो की मदद, मगर खुद ही फस गए शिवराज
करना चाहते थे दूसरो की मदद, मगर खुद ही फस गए शिवराज
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भोपाल- मोदी सरकार द्वारा लागू किये गए नोटबंदी के फैसले से जहाँ आम जनता परेशान हैं तो वही जनता की परेशानी को देखते हुए उनकी मदद करने का फैसला लेना मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भारी पड़ गया हैं. 

ज्ञात हो की 500 और 1000 के नोट के बंद होने के बाद शिवराज ने किसानों की समस्याओ को देखते हुए एक आपातकाल बैठक बुलाई थी. बैठक में ये फैसला लिया गया था की सहकारी बैंकों में 500-1000 रुपए के नोट बदले और जमा किये जायेगे. बस यही फैसला बीजेपी सरकार के लिए गले की फांस बन गया हैं.

दरअसल सरकार द्वारा के ये फैसला लेते ही एक दिन के अंदर ही प्रदेश के सहकारी बैकों में करोड़ों रुपए जमा हो गये और ये बात आयकर विभाग की नजर में आ गई और अब इन बैंकों से आयकर विभाग ने पूरा लेखाजोखा ही मांग लिया है. और सरकार से बिना अनुमति नोट बदलने का कारण भी पूछा है. प्रदेश के सहकारी बैंकों में 500 और 1000 के नोट जमा करने के मामले में आयकर विभाग ने 19 जिलों के सहकारी बैंकों को बिना अनुमति के नोट बलदने पर नोटिस जारी कर दिया है.

जब इस मामले में आयकर विभाग ने जाँच की तो सामने आया की नोटबंदी के पांच दिन बाद तक सहकारी बैंकों में पैसा जमा करवाया गया हैं जबकि आरबीआई की ओर से सहकारी बैंको को पैसे जमा करने तथा नोट बदलने के लिए कोई भी आदेश नही दिए गए थे. जाँच में ये बात भीं सामने आई हैं. सहकारी बैंको द्वारा आरबीआई के बनाये गए कानूनों का पूर्ण रूप से उल्लंघन किया गया हैं. आरबीआई की तय सीमा से ज्यादा 500 और 1000 के नोटों को सहकारी बैंको द्वारा बदला गया हैं. 

इस मामले में आयकर विभाग को प्रदेश के 19 सहकारी बैंको में गड़बड़ी देखने को मिली हैं जिनमे जबलपुर, छिंदवाड़ा, सागर, बालाघाट, कटनी, सिवनी, दमोह, नरसिंहपुर, सतना, सिंगरौली, शहडोल, उमरिया, डिंडौरी, मंडला, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़ के बैंक शामिल हैं. आयकर विभाग ने इस मामले में बैकों से जानकारी तो मांगी ही है, साथ ही उन खाताधारकों की पूरी जानकारी मांगी है, जिन्होंने इस अवधि में सहकारी बैंकों में पैसे जमा किये हैं. 

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