घोटाले के दाग अभी धुले नही कि कर दी एक और गलतीः व्यापमं
घोटाले के दाग अभी धुले नही कि कर दी एक और गलतीः व्यापमं
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भोपाल: पहले से घोटाले के कारण दागदार बने व्यापम (व्यवसायिक परीक्षा मंडल) पर एक और धब्बा लग गया है। व्यापमं के कामकाज में एक बड़ी गलती का खुलासा हुआ है। घोटाले के बाद व्यापमं का नाम बदलकर प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड रखा गया था। लेकिन काम को देखकर ऐसा किसी भी एंगल से नही लगता कि यह प्रोफेशनल है। व्यापमं की नई वेबसाइट पर 6000 अभ्यार्थियों की गोपनीय जानकारी को युं ही साइट पर छोड़ दिया गया। बीते एक महीने से ये सूचनाएँ साइट पर आसानी से उपलब्ध रही।

गड़बड़ी सामने आने के बाद डायरेक्टर तरुण पिथोड़े को सूचित किया गया। उन्होने तुरत अधिकारियों को सूचित किया। इसके बाद डेटा को सुरक्षित किया गया। हांला कि इस जानकारी के दुरुपयोग का कोई मामला सामने नही आया है। परीक्षाओं मे गड़बड़ी के मामले के उजागर होने के बाद व्यापम ने इसे सुधारने की कवायद शुरु की। इसके तहत परीक्षा प्रणाली को पूरी तरह कंप्यूटराइज किया गया। इसी कारण सारी जानकारी को पुरानी वेबसाइट से नई वेबसाइट पर डालने की होड़ शुरु हुई। और इसी शिफ्टिंग में यह चुक हो गई।

वेबसाइट बनाने वाली कंपनी ने प्रयोग के तोर पर डमी डेटा का प्रयोग करना चाहा पर भूलवश असली डेटा अपलोड हो गया। परीक्षार्थियों का जो डाटा खुला पड़ा था, उसमें उनके एनरोलमेंट नंबर, आधार नंबर, पैन कार्ड नंबर, वोटर आईडी नंबर, जन्म की तारीख सहित अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां थीं। विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी जानकारी आसानी से उपलब्ध होने से कोई भी दुरुपयोग हो सकता है।

साइबर सिक्यूरिटी एक्सपर्ट और मैनिट के कंप्यूटर साइंस विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. डीएस तोमर का कहना है कि एसक्यूएल फाइल से डेटा हैक करना आसान होता है। हैकिंग से बचने के लिए इंटरनेशनल एजेंसी ओपन वेब एप्लीकेशन सिक्यूरिटी प्रोजेक्ट ने गाइडलाइन तैयार की है। यह गाइडलाइन हर तीन साल में एक बार जारी की जाती है। इसमें वेबसाइट और उसके डाटा को सुरक्षित रखने संबंधी सभी जानकारियाँ दी गई है। तो इसी गाइडलाइन के तहत काम होना चाहिए।

 

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